Dev Uthani Ekadashi 2025: मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन में देवउठनी एकादशी का पर्व इस बार बेहद अनोखे अंदाज़ में मनाया गया. महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार शाम बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया, जिसमें भांग, फूल और चंदन का उपयोग हुआ. संध्या आरती के दौरान जब पुजारियों ने फुलझड़ी जलाकर बाबा की आरती उतारी, तो पूरा मंदिर परिसर रोशनी से नहा उठा. श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ 'हर हर महादेव' का उद्घोष करते हुए इस अद्भुत नज़ारे को अपनी आंखों में बसाया.
देवउठनी एकादशी पर भव्य श्रृंगार और आरती
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागरण की परंपरा के साथ बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया. मंदिर के गर्भगृह में भांग और पुष्पों से बाबा को सजाया गया, जबकि आरती के समय पुजारी ने फुलझड़ी जलाकर आरती उतारी, जो अपने आप में एक अनोखी परंपरा है. इस मौके पर हजारों श्रद्धालु महाकाल मंदिर पहुंचे और आरती के दौरान भक्तिभाव से डूब गए. माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु जागते हैं और सभी शुभ कार्यों की शुरुआत फिर से होती है.
महाकाल की संध्या आरती का महत्व
महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन शाम 7 बजे संध्या आरती होती है, लेकिन देवउठनी एकादशी की आरती का महत्व और बढ़ जाता है. भक्तों का मानना है कि इस दिन की आरती के दर्शन से जीवन में सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. मंदिर में विशेष संगीत, शंखनाद और दीपों की रोशनी ने वातावरण को और अधिक पवित्र बना दिया. बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं, वहीं मंदिर प्रांगण ‘महाकाल की जय' के नारों से गूंजता रहा.
26 घंटे तक शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी की तिथि इस वर्ष 1 नवंबर की सुबह 9:11 बजे से शुरू होकर 2 नवंबर की सुबह 7:31 बजे तक रही. यानी भक्तों के लिए पूरे 26 घंटे तक शुभ मुहूर्त का अवसर था. आमतौर पर महाकाल मंदिर में सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है, लेकिन इस अवसर पर भक्तों ने संध्या आरती का भी विशेष लाभ उठाया. इस दिन बाबा महाकाल की आरती और तुलसी विवाह एक साथ होने से मंदिर में उत्सव जैसा माहौल बना रहा.
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उज्जैन में भक्ति और परंपरा का संगम
देवउठनी एकादशी के इस पावन अवसर पर उज्जैन में आस्था और परंपरा का सुंदर संगम देखने को मिला. महाकालेश्वर मंदिर की रोशनी, फुलझड़ी की चमक और भक्ति के स्वर ने भक्तों के मन को आनंदित कर दिया. यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक भी है कि उज्जैन में हर त्योहार बाबा महाकाल की आराधना से ही शुरू होता है.
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