Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सबसे महत्वपूर्ण वन्यजीव क्षेत्रों में से एक गरियाबंद के उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में अवैध कब्जे की एक बड़ी और संगठित कोशिश को वन विभाग ने नाकाम कर दिया है. कोंडागांव जिले से आए 53 लोगों की एक टोली ने कोर एरिया में घुसकर जंगल काटने की शुरुआत की थी, जिन्हें अब वन विभाग ने सलाखों के पीछे भेज दिया है. इस पूरे मामले की जानकारी उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट के उपनिदेशक वरुण जैन ने दी.
संगठित तरीके से जंगल को साफ करने की थी तैयारी
आमतौर पर अतिक्रमण की छिटपुट घटनाएं होती हैं, लेकिन यहां कोंडागांव के करीब 15 गांवों (देवडोंगर, ढोंडरा, कोरगांव, रावबेड़ा आदि) के लोग एक साथ मिलकर घोटबेड़ा परिसर में दाखिल हुए थे. इनके निशाने पर महानदी का कैचमेंट एरिया था, जो हाथियों और तेंदुओं का मुख्य प्राकृतिक घर माना जाता है.
जैसे ही वन विभाग को सूचना मिली कि कक्ष क्रमांक 323 में कुल्हाड़ियां चल रही हैं, तीन परिक्षेत्रों की संयुक्त टीम ने रणनीतिक घेराबंदी की. मौके से 53 लोगों को रंगे हाथों पकड़ा गया और उनके पास से जंगल काटने के औजार जब्त किए गए.
कानूनी शिकंजा नहीं मिलेगी आसान राहत
वन विभाग ने इस बार सिर्फ बेदखली नहीं की है, बल्कि सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है.वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 27, 29, 31, 50, 51, 52 के तहत केस दर्ज.भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 (1) क के तहत भी कार्रवाई इन धाराओं में 3 से 7 साल तक की कड़ी सजा का प्रावधान है.
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टाइगर रिजर्व की नो टॉलरेंस पॉलिसी
विगत 3 वर्षों में टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने रिकॉर्ड 750 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया है. विभाग के इस कड़े रुख ने उन भू-माफियाओं और ग्रामीणों को स्पष्ट संकेत दे दिया है. इस सफल ऑपरेशन को एसडीओ भोपाल सिंह राजपूत, रेंजर सुशील सागर, डिप्टी रेंजर लोकेश्वर चौहान और उनकी टीम ने अंजाम दिया. आरोपियों को धमतरी कोर्ट में पेश कर 14 दिनों की जेल भेज दिया गया है.