
Ujjain Pada Dangal: मध्य प्रदेश के धार्मिक शहर उज्जैन में प्रतिबंध के बावजूद पशु दंगल का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है.यहां मंगलनाथ क्षेत्र में छह जोड़ी पाड़ों को आपस में भिड़ाया गया, जिससे पशु प्रेमियों और जागरूक नागरिकों में नाराजगी है.इस दंगल में 'भीष्मा' और 'कालू' जैसे नाम के पाड़े भी शामिल थे, जिनके बीच घंटों तक जोर आजमाइश चलती रही. हैरानी की बात यह है कि पुलिस और प्रशासन को इस अवैध आयोजन की भनक तक नहीं लगी. ये दंगल अंकपात क्षेत्र के श्याम ग्रुप ने आयोजित किया था, जिसके आयोजक आनंद देशवाली ने इसे 'परंपरा' का हिस्सा बताया है.
क्यों लगा पाड़ों के दंगल पर प्रतिबंध?
पाड़ों के दंगल पर प्रतिबंध पशुओं पर क्रूरता को रोकने के लिए लगाया गया है. इस तरह के दंगल में पाड़ों को अक्सर शराब पिलाकर उत्तेजित किया जाता था, ताकि वे आक्रामक हो जाएं. इस कारण दंगल में कई बार पाड़े गंभीर रूप से घायल हो जाते थे या उनकी जान तक चली जाती थी. इसके अलावा, उत्तेजित पाड़े अनियंत्रित होकर दर्शकों को भी चोट पहुंचा सकते थे.पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत जानवरों को अनावश्यक दर्द या पीड़ा पहुंचाना एक दंडनीय अपराध है. यही कारण है कि इस तरह के आयोजनों पर रोक लगा दी गई, ताकि जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और उन्हें अमानवीय यातना से बचाया जा सके.
पुलिस और प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल
इस घटना ने पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इतने बड़े पैमाने पर हुए आयोजन के बावजूद पुलिस का अनजान रहना कहीं न कहीं सवाल उठाता है. जाहिर है पशु क्रूरता जैसे संवेदनशील मुद्दे पर इस तरह की उदासीनता न्याय और कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा है. इस घटना पर आगे क्या कार्रवाई होती है, यह देखने वाली बात होगी. फिलहाल पुलिस की तरफ से किसी तरह के कोई एक्शन की खबर नहीं हैं.
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