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मध्य प्रदेश में हर दिन होते हैं 7 दलित-आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार,विधानसभा में रखे गए चौंकाने वाले आंकड़े

Crime Against Women: एक सभ्य समाज का पैमाना वहां रह रही महिलाओं की स्थिति होती है. मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासी महिलाओं के खिलाफ हिंंसा और अपराध को लेकर विधानसभा में रखे गए आंकड़े भयावह है, जो समाज में रह रही महिलाओं की दशा और दुर्दशा की ओर इशारा कर रही हैं.

मध्य प्रदेश में हर दिन होते हैं 7 दलित-आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार,विधानसभा में रखे गए चौंकाने वाले आंकड़े
7 SC-ST women raped every day in mp

Rape Victime In MP: मध्य प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को विपक्षी विधायक आरिफ मसूद के सवाल के जवाब में मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश में दलित और आदिवासी महिलाओं के साथ रोजाना हो रहे यौन अपराध के चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए. इन आंकड़ों ने समाज में मौजूद जातिगत और लैंगिक हिंसा की भयावह सच्चाई को एक बार फिर सामने ला दिया है.

एक सभ्य समाज का पैमाना वहां रह रही महिलाओं की स्थिति होती है. मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासी महिलाओं के खिलाफ हिंंसा और अपराध को लेकर विधानसभा में रखे गए आंकड़े भयावह है, जो समाज में रह रही महिलाओं की दशा और दुर्दशा की ओर इशारा कर रही हैं.

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2022 से 2024 के बीच कुल 7418 SC- ST महिलाओं के साथ रेप हुआ

मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के सदन में रखे गए आंकड़ों के मुताबिक बीते तीन वर्षों यानी 2022 से 2024 के बीच राज्य में कुल 7418 अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग की महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं घटी. इनमें 558 महिलाओं की हत्या, और 338 महिलाओं के साथ गैंगरेप की घटनाएं दर्ज हुईं.

प्रदेश में औसतन हर दिन 5 SC/ST महिलाएं यौन हिंसा की शिकार हुईं

आंकड़े दर्शाते है कि प्रदेश में औसतन हर दिन 7 दलित या आदिवासी महिलाओं के साथ रेप हुआ. इस अंतराल में कुल 1906 महिलाओं को घरेलू हिंसा की शिकार हुईं. यानी हर दिन दो SC/ST महिलाएं अपने ही घर में प्रताड़ना झेलती रहींं. इस दौरान 5983 महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं दर्ज हुईं, यानी हर दिन 5 SC/ST महिलाएं यौन हिंसा की शिकार हुईं.

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बीते तीन वर्षों में मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासी महिलाओं के साथ हुए  कुल 44,978 अपराधों की रिपोर्ट दर्ज हुई, जो बताते हैं कि मध्य प्रदेश में औसतन हर दिन 41 दलित या आदिवासी महिलाओं के साथ किसी न किसी रूप में अपराध हुआ.

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हाशिए पर खड़े वर्गों की महिलाएं आज भी हैं सबसे ज्यादा असुरक्षित

गौरतलब है मध्य प्रदेश की कुल आबादी का करीब 38 फीसदी हिस्सा SC/ST समुदायों से आता है, जिसमें 16 फीसदी SC और 22 फीसदी ST हैं, इसके बावजूद इतने व्यापक स्तर पर अपराध यह दर्शाता है कि समाज के सबसे हाशिए पर खड़े वर्गों की महिलाएं आज भी सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं.

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विधानसभा में पेश किए गए भयावह सरकारी आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आदिवासी महिलाएं यौन और घातक अपराधों की ज्यादा शिकार बनीं, जबकि दलित महिलाओं को घरेलू हिंसा और छेड़छाड़ का अधिक सामना करना पड़ा.

आजादी के 76 साल बाद भी SC-ST महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी नहीं ?

विधानसभा में पेश इन आंकड़ों से सवाल खड़ा होता है कि क्या हमारे कानून, हमारी व्यवस्था, और हमारी सोच अब भी इन वर्गों की महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे पा रही है? और सबसे गंभीर सवाल ये क्या ये सिर्फ आंकड़े हैं, या उन हज़ारों जिंदगियों की चीखें, जो कभी अदालत तक नहीं पहुंच पाईं?

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