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This Article is From Dec 30, 2023

छत से टूटकर गिरता प्लास्टर और नीचे खौफ में बच्चे, MP के सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल

क्लास में पढ़ने वाले बच्चे बताते हैं कि वे अब क्लास के अंदर बैठकर पढ़ने से भी डरते हैं. उनके माता-पिता भी अब उन्हें स्कूल भेजने में डर रहे हैं लेकिन कहते हैं कि उनकी भी मजबूरी है.

छत से टूटकर गिरता प्लास्टर और नीचे खौफ में बच्चे, MP के सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल
एमपी में सरकारी स्कूलों की हालत जर्जर

MP Government Schools: प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत बेहद ही खराब है. प्रदेश में छात्र जर्जर स्कूल और इमारतों में पढ़ने को मजबूर हैं. आलम यह है कि स्कूली शिक्षा विभाग इसकी सुध भी नहीं ले रहा है. हाल ही में राजधानी भोपाल में एक ऐसी ही घटना सामने आई है, जिसमें चलती क्लास के दौरान अचानक से छत से प्लास्टर उखड़कर गिरने लग गया. स्कूल की मरम्मत काफी समय से नहीं की गई थी. प्लास्टर गिरने के कारण कई बच्चे और टीचर्स ज़ख़्मी भी हो गए. जब NDTV की टीम इस स्कूल की असलियत देखने पहुंची तो हालात कुछ और भी ज़्यादा ख़राब थे. स्कूल की हर कक्षा की दीवारों में सीलन थी. बारिश के दौरान यहां पर दीवारों से पानी भी रिसने लगता है. बच्चे आंगन में बैठकर अपना खाना खा रहे थे. टीचर्स भी इन दीवारों के बीच काम करने को मजबूर हैं. फर्श पूरी तरह से उखड़ी हुई है. 

स्कूल की हेड मिस्ट्रेस का कहना है कि कई बार गुहार तो लगाते हैं लेकिन अधिकारी हमेशा आते हैं और कहते हैं कि स्कूल को फंड नहीं दिया जाता है. स्कूल की कई शिक्षिकाओं ने जानकारी भी दी कि अभी जहां पर स्कूल संचालित होता है इससे पहले यहां पर एक अस्पताल चलाया जाता था. स्कूल की कक्षा एक पुराने जर्जर भवन में लगती थी. उस भवन की हालत इतनी खराब हो गई थी कि मजबूरन स्कूल को अस्पताल की जगह शिफ़्ट करना पड़ा. जब हादसा हुआ तब पांचवी कक्षा की क्लास चल रही थी. हादसे के बाद कई बच्चे डर और सहम गए. 

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विभाग ने जारी किया था आदेश

क्लास में पढ़ने वाले बच्चे बताते हैं कि वे अब क्लास के अंदर बैठकर पढ़ने से भी डरते हैं. उनके माता-पिता भी अब उन्हें स्कूल भेजने में डर रहे हैं लेकिन कहते हैं कि उनकी भी मजबूरी है. इतना ही नहीं स्कूली शिक्षा विभाग ने जनवरी के समय स्कूल की मरम्मत के लिए आदेश जारी किए थे जिसमें हज़ारों करोड़ रुपए का आवंटन सिर्फ़ स्कूलों की मरम्मत के लिए दिया गया था. हालांकि अगस्त आते-आते इस आदेश को निरस्त कर दिया गया और मध्य प्रदेश के स्कूलों की वही हालात है जो पहले थी. भवन तब भी जर्जर थे और अब भी जर्जर हैं.

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प्रशासन के दस्तावेज़ में क्या है? 

- राज्य के 7189 स्कूलों को साल की शुरुआत में मरम्मत की ज़रूरत थी
- 25 जनवरी 2023 को आदेश और बजट जारी किया गया
- 143 करोड़ 21 लाख 70 हज़ार का बजट जारी हुआ
- 21 अगस्त 2023 को आदेश को निरस्त कर दिया गया
- स्कूलों की मरम्मत का बजट आज तक अटका हुआ है

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आमने-सामने कांग्रेस और बीजेपी

स्कूली शिक्षा अधिकारी अंजनी कुमार त्रिपाठी का पूरी घटना को लेकर कहना है कि हेड मिस्ट्रेस ये ख़ुद मानती हैं कि उन्होंने कोई भी प्रोविजन नहीं भेजा था. हालांकि इसमें गंभीर लापरवाही पाई गई है. इसकी जांच समिति का गठन किया जा रहा है. लापरवाही किसकी हुई, उस पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. वहीं इस पूरे मामले को लेकर BJP और कांग्रेस के बीच में सियासत भी शुरू हो गई है.

कांग्रेस विधायक आरिफ़ मसूद ने कहा कि विधानसभा में उनके विधायक ने इसको लेकर प्रश्न भी लगाया था और लंबे समय से जर्जर स्कूलों की हालत को लेकर मुद्दा उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा ही नहीं है. उन्होंने जानबूझ कर लाड़ली बहना का पैसा भरने के लिए स्कूलों की मरम्मत के पैसे रोक दिए हैं. पिछली सरकार ने सिर्फ बोलने का काम किया. बड़ी-बड़ी बातें कीं और किया कुछ भी नहीं. ये सरकार भी बोलने वाली लग रही है. उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग करता हूं कि वे ऐसी चीज़ों पर जल्द ही त्वरित एक्शन लें वरना मध्य प्रदेश के बच्चों का भविष्य ख़तरे में है.

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बीजेपी ने दिया जवाब

जवाब में सत्ताधारी दल BJP का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई और स्कूली शिक्षा को लेकर प्रदेश में सरकार काफ़ी चिंतित है और शिक्षा विभाग अपने काम को लेकर प्रतिबद्ध भी है. बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा कि कांग्रेस के पेट में दर्द है. उनके मन में पीड़ा है. कांग्रेस चारों खाने चित्त हो चुकी है इसलिए ऐसी बातें कर रही है. स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए और व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है. अगर ऐसा कहीं कोई हादसा हुआ है तो उस पर नज़र रखी जा रही है. संज्ञान लिया जाएगा और आगे ऐसे हादसे दोबारा न हों सरकार इसे लेकर लगातार प्रतिबद्ध है.

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