
मध्य प्रदेश में सागर जिले के एक कॉलेज में पढ़ाने वाले 6 गेस्ट टीचर्स (अतिथि विद्वानों) की कारस्तानी सामने आई है. वह सार्थक ऐप के जरिए फर्जी उपस्थिति (अटेंडेंस) लगाकर लंबे समय से वेतन ले रहे थे. उच्च शिक्षा विभाग को जब यह पता चला तो आरोपियों पर तुरंत एक्शन लिया गया है.
प्रशासन ने नियमों की अनदेखी कर लंबे समय से फर्जी हाजिरी दर्ज करने और अनुशासनहीनता बरतने वाले इन शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. यह आरोपी रहली के शासकीय उच्चतर महाविद्यालय में गेस्ट टीचर थे.
कॉलेज प्रशासन ने अप्रैल में किया नजरअंदाज
जानकारी के अनुसार, गेस्ट टीचर सरकार के निर्देशों और निर्धारित प्रणाली की लगातार अवहेलना कर रहे थे. शिकायतों के आधार पर विभाग ने अप्रैल माह में कॉलेज प्रशासन को पत्र जारी कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया. अतिथि विद्वान लगातार मनमाने ढंग से सार्थक ऐप पर फर्जी हाजिरी दर्ज कराते रहे.
उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी 6 गेस्ट शिक्षकों डॉ. मैत्री मोहन वेन, डॉ. राजू सेन, डॉ. मनोज जैन, शीतल मिश्रा, आकांक्षा सिंघई और राजमणि सोनी के आवेदन निरस्त कर उन्हें सेवा से हटाने के आदेश जारी किए हैं.
बताया जा रहा है कि हाल ही में कॉलेज का प्रभार संभालने वाली प्राचार्य डॉ. रूचि राठौर ने विभागीय आदेश का पालन करते हुए संबंधित सभी विद्वानों की सेवाएं समाप्त करने की कार्रवाई की.
पिछले साल से सरकार ने हाजिरी जरूरी की
गौरतलब है कि प्रदेश के समस्त महाविद्यालयों में 24 जुलाई 2024 से सार्थक ऐप के माध्यम से कार्यस्थल पर उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था लागू की गई थी. रहली महाविद्यालय में उस समय डॉ. माधुरी सिंह को ऐप प्रभारी बनाया गया था, जिन्होंने कई बार मासिक बैठकों में सभी अतिथि विद्वानों को समय पर उपस्थिति दर्ज करने के निर्देश दिए थे.
प्रिंसिपल ने नहीं लिया कोई एक्शन
इसके बावजूद उक्त 6 विद्वान लगातार लापरवाही करते रहे. आश्चर्य की बात यह रही कि तत्कालीन प्राचार्य द्वारा इस पूरे मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई. जब विभाग द्वारा ऐप प्रभारी से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने शासन को सही सूचना दी, जिससे मामला उजागर हुआ.
ये भी पढ़ें- स्कूल बना शराबखाना! प्रधान पाठक कोल्डड्रिंक की बोतल में छुपाकर लाया शराब, नशे की हालत में मिला शिक्षक
इन लोगों की भी भूमिका संदिग्ध
सूत्रों की मानें तो इस फर्जी हाजिरी के मामले में पूर्व प्राचार्य, लिपिकीय स्टाफ और कंप्यूटर ऑपरेटर की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है. कॉलेज में लगभग एक वर्ष से यह फर्जी उपस्थिति का खेल खुलेआम चलता रहा, इसके बावजूद न तो किसी ने इसकी शिकायत की और न ही विभागीय स्तर पर कोई तत्काल कदम उठाया गया.
फर्जी उपस्थिति के आधार पर सभी अतिथि विद्वानों को हर माह वेतन का भुगतान भी नियमित रूप से किया गया, जो पूरे कॉलेज स्टाफ की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा की गई यह कार्रवाई एक सख्त संदेश है कि शासन की व्यवस्था और अनुशासनहीनता को हल्के में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.
ये भी पढ़ें- गुना में दर्दनाक हादसा: कुएं में गाय के बछड़े को बचाने उतरे 5 लोगों का जहरीली गैस से घुटा दम, मौत; एक युवक बचा