छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज से बदहाली और अव्यवस्थाओं को दिखाती हुई एक खबर सामने आ रही है. जिला अस्पताल में करीब तीन घंटे बिजली नहीं आई तो मरीजों को मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में ही अपना इलाज कराना पड़ा. "बताइए मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में इलाज" है ना एक हैरान करने वाली खबर. ये खबर हैरान करने के साथ सरकारी अव्यवस्थाओं की पोल भी खोलती है.
बिजली रही गुल
शुक्रवार को जिला अस्पताल में करीब 3 घंटे से ज्यादा समय बिजली गुल रही साथ ही सुबह हुई बारिश ने भी सभी को परेशान कर दिया, बारिश से गायनिक वार्ड में पानी भर गया था. इसके बाद दोपहर को बिजली गुल होने के कारण अस्पताल की ओपीडी में इलाज के लिए आए लोगों को मजबूरन अंधेरे में मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में इलाज करवाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
पावर स्टेशन का मेंटेनेंस पर फंसा पेंच
अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार बिजली गुल होने पर जनरेटर द्वारा पूरे अस्पताल में बिजली आपूर्ति की जाती है. जनरेटर द्वारा बिजली सप्लाई में प्रति घंटे 150 लीटर डीजल खर्च होता है. अस्पताल के 33 केवी के पावर स्टेशन का मेंटेनेंस का पेंच मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और अस्पताल प्रबंधन के बीच फंसा हुआ है.
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आए दिन हो जाता है पावर कट
मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध जिला अस्पताल परिसर में 33 के वी का पावर स्टेशन है. इस स्टेशन में तकनीकी मेन पॉवर की कमी और मैनटेंस नही होने की वजह से आए दिन पॉवर कट हो जाता है जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पावर स्टेशन के मेंटेनेंस का प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं लेकिन जब तक ये पास नहीं हो जाता लोगों को इसी तरह से परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.