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4 दिन के बेटे को मां-बाप ने जंगल में पत्थर से दबाया, एमपी में आखिर शिक्षक दंपती क्यों बन गए हैवान ?

Chhindwara News: पिता ने बच्चे को जंगल में पत्थर के नीचे दबा दिया था, ताकि बच्चा मर जाए और उसके चौथे बच्चे का पिता बनने का राज राज ही रह जाए. लेकिन, होनी को कुछ और ही मंजूर था. दरअसल, नवजात रातभर चीटियों और ठंड से लड़ता रहा. सुबह जब ग्रामीणों ने बच्चे के रोने की आवाज सुनी, तो उसे बचा लिया.

4 दिन के बेटे को मां-बाप ने जंगल में पत्थर से दबाया, एमपी में आखिर शिक्षक दंपती क्यों बन गए हैवान ?

Chhindwara Latest News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से मानवता को शर्मसार करने वाली खबर सामने आई है. दरअसल, यहां एक शिक्षक पिता ने अपने 4 दिन के नवजात संतान को जंगल में पत्थर के नीचे दबाकर छोड़ दिया. हालांकि, बच्चे के रोने की आवाज सुनकर ग्रामीणों ने उसे बचा लिया. फिलहाल, मासूम जिला अस्पताल में भर्ती है और सुरक्षित है.

आरोप है कि चौथा संतान होने पर नौकरी जाने के डर से शिक्षक ने यह खौफनाक कदम उठाया.  पिता ने बच्चे को जंगल में पत्थर के नीचे दबा दिया था, ताकि बच्चा मर जाए और उसके चौथे बच्चे का पिता बनने का राज राज ही रह जाए. लेकिन, होनी को कुछ और ही मंजूर था. दरअसल, नवजात रातभर चीटियों और ठंड से लड़ता रहा. सुबह जब ग्रामीणों ने बच्चे के रोने की आवाज सुनी, तो उसे बचा लिया.

नौकरी जाने के डर से रची साजिश

फिलहाल, मासूम जिला अस्पताल में भर्ती है और सुरक्षित है. पुलिस ने आरोपी माता-पिता के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. एसडीओपी कल्याणी बरकडे  ने बताया कि आरोपी पिता बबलू डांडोलिया और मां राजकुमारी डांडोलिया दोनों नांदनवाडी प्राथमिक शाला में शिक्षक के पद पर पदस्थ हैं. दोनों के पहले से ही तीन बच्चे हैं. ऐसे में उन्हें डर था कि चौथा बच्चा होने पर सरकारी नियम के तहत उनकी नौकरी जा सकती है. इसी वजह से पहले तो गर्भावस्था को छिपाए रखा. इस बीच 23 सितंबर की रात करीब 3 बजे घर पर ही बच्चे का जन्म हुआ. इसके बाद दोनों ने नवजात को 27 सितंबर को नांदनवाड़ी गांव के जंगल में ले जाकर लावारिस छोड़ दिया.

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अगली सुबह जब ग्रामीण जंगल की ओर गए, तो उन्हें बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी. उन्होंने पत्थर हटाकर देखा, तो मासूम जिंदा था. इसके बाद पुलिस की मदद से उसे अस्पताल में भर्ती कराया. जहां डॉक्टरों ने बताया कि रातभर ठंड में रहने और चींटियों के काटने से बच्चे को इन्फेक्शन का खतरा था, जिसके चलते उसे शुरुआती इलाज के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया.

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