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1000 फीट ऊंचे पर्वत पर विराजी हैं विजयासन देवी, विकराल रूप धर किया था रक्तबीज का संहार, चढ़नी पड़ती हैं 1400 सीढ़ियां

Salkanpur Devi Temple: चैत्र नवरात्रि का त्योहार पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. इन 9 दिनों में श्रद्धालु देवी मां की पूजा-अर्चना करते हैं. देश के कई ऐसे मंदिर हैं जहां माता का अनोखा रूप देखने को मिलता है. ऐसा ही एक अनोखा मंदिर मध्य प्रदेश में है, जहां देवी मां के चमत्कार के चलते हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

1000 फीट ऊंचे पर्वत पर विराजी हैं विजयासन देवी, विकराल रूप धर किया था रक्तबीज का संहार, चढ़नी पड़ती हैं 1400 सीढ़ियां
Salkanpur Devi Temple: मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1400 सीढ़ियों का रास्ता पार करना पड़ता है.

Chaitra Navratri 2025: सीहोर जिले के सलकनपुर देवी मंदिर में माता के दर्शन के लिए लाखों भक्त पहुंचते हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना बंजारों ने की थी. यहां देवी मंदिर 1000 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर पर पहुंचने के लिए भक्तों को 1400 सीढ़ियों का रास्ता पार करना पड़ता है, जबकि इस पहाड़ी पर जाने के लिए कुछ साल पहले सड़क मार्ग भी बनाया गया है.  इसके अलावा दर्शनार्थियों के लिए रोप-वे भी शुरू हो गया है, जिसकी मदद से यहां 5 मिनट में पहुंचा जा सकता है.  

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दुख दूर करने वाली माता

मां विजयासन के दरबार में दर्शनार्थियों की कोई पुकार कभी खाली नहीं जाती है. मां विजयासन देवी पहाड़ पर अपने परम दिव्य रूप में विराजमान हैं. विध्यांचल पर्वत श्रंखला पर विराजी माता को विध्यवासिनी देवी भी कहा जाता है. पुराणों के अनुसार, देवी विजयासन माता पार्वती का ही अवतार है, जिन्होंने देवताओं के आग्रह पर रक्तबीज नामक राक्षस का वध किया था और सृष्टि की रक्षा की थी. विजयासन देवी को कई लोग कुलदेवी के रूप में भी पूजते हैं.

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विजयासन धाम का इतिहास

शुरू से ही लोगों के मन में मां विजयासन धाम की उत्पत्ति, प्राकट्य, मंदिर निर्माण को लेकर जिज्ञाषा रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस साक्ष्य और प्रमाण नहीं मिल पाया है. कुछ पंडितों का कहना है कि यहां मां का आसन गिरने से यह विजयासन धाम बना. मां विजायासन धाम का सटीक प्रमाण और उल्लेख श्रीमद् भागवत महापुराण में भी मिलता है.

मां का यह रूप विजयासन देवी कहलाई

श्रीमद् भागवत कथा के अनुसार, जब रक्तबीज नामक दैत्य से त्रस्त होकर देवता देवी की शरण में पहुंचे, तो देवी ने विकराल रूप धारण कर लिया और इसी स्थान पर रक्तबीज का संहार कर उस पर विजय पायी. मां भगवती की इस विजय पर देवताओं ने जो आसन दिया, वहीं विजयासन धाम के नाम से विख्यात हुआ. मां का यह रूप विजयासन देवी कहलाई.

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बंजारों ने कराया था मदिर का निर्माण

एक किवदंती यह भी प्रचलित है कि लगभग 300 साल पहले बंजारे अपने पशुओं के साथ यहां पहुंचे थे, जब इस स्थान पर वो विश्राम करने के लिए रुके तो अचानक उनके सारे पशु गायब हो गए. बहुत ढूंढने के बाद भी पशु नहीं मिले. तभी एक बुर्जुग बंजारे को एक बालिका दिखाई दी. बुजुर्ग ने उस बालिका से पशुओं के बारे में पूछा तो उसने कहा कि इस स्थान पर पूजा-अर्चना कीजिए आपको सारे पशु वापस मिल जाएंगे और हुआ भी वैसा ही. अपने खोए हुए पशु वापस मिलने पर बंजारों ने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया. 

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महाकाल लोक की तर्ज पर बन रहा है देवी लोक

सीहोर जिले के सलकनपुर में भव्य देवी लोक बनने जा रहा है. महाकाल लोक की तरह देवी लोक बन रहा है. साल 2023 में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिव्य देवीलोक के निर्माण की आधारशिला रखी है. विजयासन देवी धाम में देवी लोक 211 करोड़ 37 लाख रुपये की लागत से बनाया जा रहा है. वहीं 2025 में सलकनपुर देवी लोक बनकर तैयार हो जाएगा.

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