MPCG Election Results: कांग्रेस ने पूरे देश में अपनी सीटों की संख्या में शतकीय बढ़ोतरी की है लेकिन देश का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में न सिर्फ वो खाता खोलने से चूक गई बल्कि यहां पार्टी के कई बड़े नामों के सियासी भविष्य पर भी सवाल खड़े हो गए. दरअसल मध्यप्रदेश में कांग्रेस को छह महीने में दूसरी बार बड़ी हार मिली है...वो भी तब जब लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपने बड़े नामों को मैदान में उतारा था. पूरे देश में कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ों में एक छिंदवाड़ा सीट भी कांग्रेस नहीं बचा पाई. ऐसे में सवाल उठता है कि पूर्व CM कमलनाथ, पूर्व CM दिग्विजय सिंह और पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया जैसे नेताओं का क्या होगा. इन सभी नेताओं के प्रदर्शन पर क्रमवार चर्चा करते हैं...
77 साल के कमलनाथ का सियासी भविष्य अधर में
सबसे पहले बात गांधी परिवार के करीबी दिग्गज कांग्रेसी कमलनाथ की.देखा जाए तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका कमलनाथ के इलाके छिंदवाड़ा में लगा है. ये सीट तमाम झंझावतों के बावजूद बीते 40 सालों से कांग्रेस के कब्जे में थी. इसे कांग्रेस और कमलनाथ का अभेद्य किला माना जाता था. लेकिन 2024 के चुनाव में उनके बेटे नकुलनाथ को बीजेपी के विवेक बंटी साहू ने 1 लाख 13 हजार 655 वोटों से हराया. हालत ये है कि काउंटिंग के दौरान ही नकुलनाथ सेंटर छोड़कर अपने घर चले गए. दरअसल छह महीने पहले ही कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने एमपी विधानसभा का चुनाव लड़ा था जिसमें पार्टी को करारी हार मिली. इससे पहले कमलनाथ जब CM
बने थे तब उन्होंने अपनी सीट अपने बेटे नकुलनाथ को सौंप दी थी लेकिन 2024 के चुनाव में वे अपनी सीट न बचा पाए. इससे पहले लोकसभा चुनाव के ठीक पहले उनके पार्टी छोड़ने की अटकलें भी लगी थी. जाहिर है तमाम परिस्थितियां 77 साल के कमलनाथ के सियासी भविष्य पर सवाल खड़े करती है.
दिग्विजय पहले ही कह चुके हैं- ये आखिरी चुनाव है
अब बात दिग्विजय सिंह की. ये राज्य के पूर्व CM रहे हैं और इनकी गिनती प्रदेश ही नहीं देश के बड़े कांग्रेसी नेताओं में होती है. इसके बावजूद एक के बाद एक लगातार दो अहम चुनावों में हार का स्वाद चथ चुके हैं. वैसे इस बार वे खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने कहा कि प्रदेश के सभी बड़े नेताओं को चुनाव लड़ना है. जिसके बाद वे राजगढ़ से बतौर कांग्रेस प्रत्याशी उतरे. चुनाव प्रचार के दौरान वे लगातार कह भी रहे थे कि ये उनका आखिरी चुनाव है. उनकी उम्र 77 साल हो चुकी है. ऐसे में ताजा हार के बाद पार्टी में उनकी राह अब आसान नहीं रह गई है.
रतलाम में भूरिया की कांति मंद पड़ी
साल 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस को एक अपने एक बड़े नेता से निराशा हाथ लगी है. ये नेता है पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया. वे एमपी कांग्रेस में अगली पंक्ति के नेता माने जाते हैं. लेकिन 2024 के चुनाव में वे रतलाम से बुरी तरह हार गए. इससे पहले वे 2019 में भी इसी सीट से रतलाम का जनादेश उनके खिलाफ रहा था. ऐसे में सवाल उठता है कि 74 साल के कांतिलाल भूरिया क्या पार्टी में उतने सक्रिय रह पाएंगे.