
Damoh News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के दमोह जिले सहित बुंदेलखंड (Bundelkhand) अंचल में रैकवार माझी समाज (Raikwar Majhi Society) द्वारा दीपावली के दूसरे दिन घर-घर जाकर परिवार के सभी सदस्यों के लिए मछली पकड़ने वाला जाल (Fishing Net Culture) ओढ़ाया जाता है. यह परंपरा विलुप्त होने के कगार पर है. इसे सहेजने के लिए दमोह में माझी समाज के युवा अध्यक्ष ने बीड़ा उठाया है. इन्होंने बताया कि बरसों पुरानी ये परंपरा आज भी कई इलाकों में जारी है. गांव-गांव में रैकवार माझी समाज के लोग मछली पकड़ने का जाल लेकर लोगों के घरों में जाते हैं.
क्या है पौराणिक मान्यता
माझी समाज के युवा अध्यक्ष ने बताया कि ये आदी काल से चली आ रही परंपरा है. इसमें गांव-गांव में रैकवार माझी समाज के लोग मछली पकड़ने का जाल लेकर लोगों के घरों में जाते हैं. परिवार के लोगों को यह जाल ओढ़ाया जाता है और माना जाता है कि इसके बाद उस घर परिवार के लोगों के जीवन की समस्याएं इस जाल में फंसकर बाहर आ जाती हैं. मछली के जाल को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए कारक भी माना जाता है. इसे डालने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. मछली के जाल को स्वास्थ्य और सुख का प्रतीक भी माना जाता है. इसे डालने से घर में स्वास्थ्य और सुख आता है.
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पूर्व मंत्री को भी ओढ़ाया गया जाल
युवा समाज सेवी ने बताया कि यह परंपरा विलुप्त हो रही थी, जिसे दोबारा से चालू करने के लिए दमोह में रैकवार माझी समाज ने इसे पुनः प्रारंभ किया है. दमोह में दिवाली के एक दिन पहले चले इस अभियान के तहत पूर्व मंत्री जयंत मलैया को भी जाल उड़ाया गया. मान्यता है कि इससे जीवन की सारी नकारात्मकता दूर हो जाती है.
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