BJP Candidate List: केंद्रीय मंत्री (Minister of Civil Aviation of India) ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र (Guna Lok Sabha constituency) से अपना उम्मीदवार बनाकर उनकी लोकसभा सीट उन्हें वापस लौटने की योजना बनाई है. केंद्रीय मंत्री सिंधिया इस सीट से सातवीं बार चुनाव लड़ेंगे, यह पहला मौका है जब वह भाजपा के टिकट पर इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. 2001 में उनके पिता की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में सिंधिया ने प्रचंड बहुमत से इस सीट पर अपना कब्जा जमाया था. यह सीट परंपरागत रूप से सिंधिया खानदान की विरासत मानी जाती है, क्योंकि सिंधिया की दादी विजय राजे सिंधिया (Vijaya Raje Scindia) और उनके पिता (Madhavrao Scindia) खुद इस सीट से कई बार सांसद रह चुके हैं.
.@BJP4India के शीर्ष नेतृत्व ने मुझे गुना के बहनों-भाईयों की सेवा का जो अवसर दिया है, वो मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है।
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) March 2, 2024
इस विश्वास के लिए मैं प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी, गृह मंत्री श्री @AmitShah जी और राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @JPNadda जी का हार्दिक धन्यवाद करता हूँ।… pic.twitter.com/9FxtTb1GDh
2019 में अपने ही समर्थक से हार गए थे सिंधिया
केंद्रीय मंत्री सिंधिया 2001 से लगातार कांग्रेस के टिकट पर इस क्षेत्र के सांसद बनते रहे थे और वह 2019 का चुनाव अपने ही समर्थक और BJP उम्मीदवार केपी यादव से एक लाख से भी ज्यादा वोटों से गए थे. लेकिन कांग्रेस में तवज्जो नहीं मिलने के कारण वह कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल हो गए और अब सातवीं बार इस लोकसभा सीट से वह चुनाव लड़ने जा रहे हैं. सिंधिया अब तक गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से छह बार चुनाव लड़ चुके हैं, जिनमें से पांच बार चुनाव जीते हैं और एक बार वह चुनाव हारे हैं.
कांग्रेस वीरेंद्र रघुवंशी को उतार सकती है मैदान में
कभी सिंधिया के कट्टर समर्थकों में गिने जाने वाले वीरेंद्र सिंह रघुवंशी को इस बार कांग्रेस (Congress Lok Sabha Candidate) अपना उम्मीदवार बनाकर सिंधिया को चुनौती देने की योजना बना सकती है, क्योंकि वीरेंद्र सिंह रघुवंशी आपसी विवाद के चलते जहां पहले सिंधिया समर्थकों की लिस्ट में सबसे पहले आते थे, उसके बाद वह सिंधिया के घोर विरोधियों की लिस्ट में सबसे पहले आने लगे हैं. पिछले चुनाव के समीकरण पर अगर बात करें तो पिछला चुनाव केपी यादव ने भाजपा के टिकट से लड़ा था, उसका कांबिनेशन था इलाके के यादव और रघुवंशी वोट. केपी यादव के खुद यादव होने के चलते यादव वोटो का ध्रुवीकरण किया और वहीं वीरेंद्र रघुवंशी ने रघुवंशी वोटों के ध्रुवीकरण किया था. ऐसे में केपी यादव का टिकट बीजेपी से कटना और वीरेंद्र रघुवंशी का कांग्रेस में फिर शामिल होना, इस कांबिनेशन को एक बार फिर हवा दे सकता है. लेकिन अभी कांग्रेस की रणनीति सिंधिया के खिलाफ कैसे है? इसके सिर्फ संकेत हैं फाइनल कुछ भी नहीं.
इस सीट पर है सिंधिया की मजबूत पकड़
यह बात अलग है कि 2019 का लोकसभा चुनाव केंद्रीय मंत्री सिंधिया मोदी लहर में हार गए हों, लेकिन उनकी इस सीट पर मजबूत पकड़ साफ तौर पर दिखाई देती है. इतना ही नहीं यह गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र उनके खानदान की परंपरागत सीटों के रूप में भी शुमार है. जहां ग्वालियर सीट पर लंबे समय तक सिंधिया खानदान काबिज रहा, वहीं गुना-शिवपुरी लोकसभा संसदीय क्षेत्र पर भी इसी परिवार का दबदबा देखा गया है. यही वजह है कि भाजपा ने यहां से सिंधिया के नाम पर ही अपना दांव लगाया है.
सिंधिया ने एनडीटीवी को पहले ही दिया था इशारा
राज्यसभा सांसद खेल प्रतियोगिता के दौरान एनडीटीवी के द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने साफ तौर पर इशारा करते हुए कहा था कि पार्टी कहे तो चुनाव जरूर लड़ेंगे और यह इशारा कहीं ना कहीं शिवपुरी-गुना संसदीय क्षेत्र से ही था. इस बात को लेकर एनडीटीवी ने खबर भी प्रमुखता के साथ प्रसारित की थी और एनडीटीवी की बात 100 प्रतिशत सच हुई और आज की तारीख में सिंधिया भाजपा के टिकट से गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
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