Aalmi Tablighi Ijtima Bhopal 2025: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 14 नवंबर से शुरू होने जा रहे 78वें आलमी तबलीगी इज्तिमा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. घासीपुरा (ईटखेड़ी) स्थित 600 एकड़ के विशाल मैदान में चार दिवसीय यह आयोजन 17 नवंबर को सामूहिक दुआ के साथ संपन्न होगा. देश-विदेश से करीब 12 से 15 लाख जायरीनों (श्रद्धालुओं) के पहुंचने की संभावना है. भोपाल का आलमी तबलीगी इज्तिमा दुनिया के सबसे बड़े इस्लामी समागमों में से एक है. इसकी शुरुआत कभी सिर्फ 13 लोगों से हुई थी, जबकि आज यह आयोजन 15 लाख से अधिक जायरीनों तक पहुंच चुका है.
साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण यह आयोजन रद्द कर दिया गया था. 2021 और 2022 में विदेशी जमाअतों पर प्रतिबंध रहा, लेकिन 2023 से स्थिति सामान्य होने के बाद फिर से विदेशों से जमाअतें आना शुरू हो गईं.
पहले जानिए इज्तिमा का मतलब क्या है? (What is Tablighi Ijtema)
इज़्तिमा शब्द अरबी भाषा से लिया गया है जिसका मतलब है 'इकट्ठा होना'. तब्लीगी इज़्तिमा एक धार्मिक सम्मेलन होता है, जिसमें लोग एक साथ इकट्ठा होकर प्रार्थना करते हैं, धर्म की बातें करते हैं व समाज में शांति का संदेश फैलाते हैं. यहां धर्म के उलेमा कुरान की शिक्षा, आदर्शों, और नबी मोहम्मद साहब की जीवनी के बारे में बताते हैं. इसके साथ ही आयोजन के आखिर में लोग एक साथ अल्लाह से दुनिया भर में अमन-शांति की दुआ करते हैं.
भोपाल इज्तिमा का इतिहास (Bhopal Tablighi Ijtema History)
भारत में आलमी तब्लीगी इज़्तिमा की शुरुआत 1947 में भोपाल की शकूर मस्जिद में हुई थी. पहले इज्तिमा में महज 14 लोग जुटे थे. इस इज्तिमा की नींव मौलाना मिस्कीन साहब ने रखी थी. उसके बाद 1971 से इज्तिमा का आयोजन बड़े स्वरूप होने लगा तब इसे भोपाल की ताजुल मसाजिद शिफ्ट कर दिया गया. उसके बाद ताजुल मसाजिद परिसर में भोपाल इज्तिमा का आयोजन किया जाता रहा लेकिन बढ़ती भीड़ को देखते हुए इसका आयोजन भोपाल से सटे ईंटखेड़ी में किया जाने लगा. इस्लामी संगठन तब्लीगी जमात, लाखों मुसलमानों के सहयोग से इज़्तिमा आयोजित करता है. आलमी तब्लीगी इज्तिमा दुनिया के तीन देशों भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में होता है.
रेलवे स्टेशन पर विशेष इंतजाम
इज्तिमा के मद्देनज़र भोपाल रेलवे स्टेशन पर रेलवे प्रशासन और इज्तिमा कमेटी ने संयुक्त रूप से विशेष इंतजाम किए हैं.
स्टेशन परिसर में 50 हजार लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है. यात्रियों की सुविधा के लिए चार नए टिकट काउंटर और छह एटीवीएम मशीनें लगाई गई हैं. दो काउंटर प्लेटफॉर्म नंबर 6 पर बने पंडाल में और दो स्टेशन परिसर में बनाए गए हैं. रेलवे ने भीड़ को देखते हुए भोपाल–इटारसी एक्सप्रेस (11272) और भोपाल–जोधपुर एक्सप्रेस (14814) में अतिरिक्त कोच लगाने की तैयारी की है. सुरक्षा की दृष्टि से जीआरपी और आरपीएफ की विशेष टीमें तैनात की गई हैं. प्लेटफॉर्म के दोनों फुटओवर ब्रिजों पर आवागमन को नियंत्रित रखने के लिए आने-जाने के रास्ते अलग-अलग तय किए गए हैं.
इज्तिमा स्थल पर भव्य तैयारियां
ईटखेड़ी स्थित इज्तिमागाह में 120 एकड़ का विशाल पंडाल तैयार किया गया है. खानपान, जलापूर्ति, प्रकाश व्यवस्था और सफाई के लिए हजारों वालंटियर्स दिन-रात जुटे हुए हैं. इज्तिमा स्थल पर चारों गेट पर 10-10 बेड वाले अस्थायी अस्पताल, मेडिकल कैंप और फायर टीमों की तैनाती की गई है. हर शिफ्ट में 500 वालंटियर्स सेवा देंगे.
पार्किंग और ट्रैफिक की विशेष व्यवस्था
इस बार तैयारियों में पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत वृद्धि की गई है. इज्तिमा परिसर 600 एकड़ में फैला है, जिसमें 300 एकड़ सिर्फ पार्किंग के लिए आरक्षित रखा गया है. कुल 71 पार्किंग जोन बनाए गए हैं, जिनमें डेढ़ लाख दोपहिया, 50 हजार चारपहिया, 1000 बसें और 1000 ट्रक-ट्रैक्टर खड़े किए जा सकेंगे. भीड़ और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए भोपाल रेलवे स्टेशन से लेकर नादरा बस स्टैंड तक 850 पुलिसकर्मियों, आरपीएफ, जीआरपी और डायल-112 की टीमों की तैनाती की गई है. मुख्य मार्गों पर बैरिकेडिंग और सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त 4,500 पुलिसकर्मियों की मांग की है.
कमेटी ने खुद की 300 बसें तैयार कीं
इस बार इज्तिमा कमेटी ने आरटीओ से बसों की मांग नहीं की है. इसके बजाय समिति ने स्वयं 300 बसों की व्यवस्था की है ताकि अंतिम दिन सामूहिक दुआ में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को आने-जाने में कोई दिक्कत न हो. इज्तिमा स्थल पर सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए दमकल दलों की विशेष टीम तैनात की जाएगी. साथ ही प्रति शिफ्ट 500 वालंटियर्स ड्यूटी पर रहेंगे, जो श्रद्धालुओं को दिशा-निर्देश और आपात सहायता उपलब्ध कराएंगे. प्रशासन ने अतिरिक्त 4,500 पुलिसकर्मियों की मांग की है, जिन्हें ट्रैफिक नियंत्रण, सुरक्षा निगरानी और व्यवस्था प्रबंधन में लगाया जाएगा.
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