Shri Ram Vivah Mahotsav in Orchha: ओरछा के रामराजा मंदिर (Ramraja Temple) में तीन दिवसीय रामविवाह महोत्सव (Shri Ram Vivah Mahotsav) का आयोजन किया गया. इस मौके पर भगवान राम की बारात ठेठ बुंदेली राजशी अंदाज में निकली गई. इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. मंदिर के चारों तरफ राम सिया के जयघोष होते रहे. इतना ही नहीं हर कोई दूल्हा सरकार की एक झलक पाने के लिए आतुर रहा. हालांकि इससे पहले दिन में गणेश पूजन का आयोजन किया गया और फिर राजसी अंदाज में प्रतिभोज का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया.
बुंदेली विवाह गीत के गायन के साथ श्री रामराजा सरकार दूल्हा बनकर जनकपुरी पहुंचे और राम सीता विवाहोत्सव बुंदेली परंपराओं और राजसी वैभव के साथ धूम धाम से सम्पन्न हुआ.
ओरछा में क्यों खास है रामविवाह महोत्सव?
पंचमी महोत्सव को देखकर आज भी लोगों में बुन्देली राजशी वैभव की यादें ताजा हो जाती है. राजशी अंदाज में होने वाला प्रतिभोज और रामराजा की बारात की शोभायात्रा अपने आप में अनूठी रहती है. इस महोत्सव में देशभर के विभिन्न हिस्सों से आए हुए श्रद्धालु भाग लेते हैं. बारात में दुल्हा के रूप में विराजमान रामराजा सरकार की प्रतिमा को पालकी में बैठाया जाता है. उनके सिर पर सोने का मुकुट नहीं, बल्कि आम बुंदेली दुल्हों की तरह खजूर की पत्तियों का मुकुट पहनाया जाता है. पालकी के एक ओर छत्र, वहीं दूसरी ओर चंवर लगाए जाते हैं, जिसे देखकर सैकड़ों वर्ष पुराने बुन्देली राजशी वैभव की याद ताजा हो जाती है.
पुरानी परंपराओं के साथ निकाली जाती है बारात
इसके अलावा विद्युत छटा से जगमगाए ओरछा के रास्तों के बीच पालकी के आगे आज भी बुंदेली अंदाज में मशालीची मशाल लेकर रोशनी के लिए आगे-आगे चलते हैं. नगर में भम्रण के बाद बारात रामराजा की ससुराल विशंभर मंदिर (जानकी मंदिर) पहुंचती है, जहां बारातियों का भव्य स्वागत के साथ द्वारचार की रस्म पूरी की जाती है. इस दौरान नगर की गली-गली बुंदेली वैवाहिक गीतों से गूंज उठती है. इस तीन दिवसीय समारोह के पहले दिन गणेश पूजन, दूसरे दिन मंडप और प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है.
ये भी पढ़े: MP News: मध्य प्रदेश भाजपा के दिग्गजों की दिल्ली में हुई बैठक में नहीं पहुंचे शिवराज, क्या हैं इसके मायने ?
ढोल नगाड़े के साथ निकाली जाती है रामराजा सरकार सरकार की बारात
ऐसा माना जाता है कि पूरे साल में ओरछा के लोग अपने राजा को अपने यहां वैवाहिक समारोह और प्रीतिभोज में आमंत्रित कर प्रीतिभोज देते है, लेकिन वर्ष में एक बार रामराजा सरकार के यहां प्रीतिभोज कार्यक्रम में 50 हजार लोग भाग लेते है और भगवान का प्रसाद ग्रहण करते है. वहीं साल में एक दिन राजा अपनी प्रजा का हालचाल मंदिर के बाहर आते हैं. इस दौरान भक्त अपने राजा का घरों के बाहर खड़े होकर राजतिलक करते है. इस अनोखी बारात में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं का हजूम होता है, जिसमें देशी और विदेशी सैलानी शामिल होते हैं. ढोल नगाड़े और तासे बाजे के बीच इस अनोखी बारात में पूरे नगर को दूधिया रोशनी से नहाया होता है. रामराजा की बारात में मानों आस्था के आंगन में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ता है.
ये भी पढ़े: आज से मध्य प्रदेश में 16वीं विधानसभा सत्र होगा शुरू, कमलनाथ नहीं रहेंगे सदन में उपस्थित