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Bhind News: जेल कैदी को रिहा करने के लिए मांगी थी रिश्वत, जेल उपाधीक्षक और गार्ड दोनों संस्पेंड

Bribe from prisoner for release: जेल में बंद कैदी की रिहाई के लिए से रिश्वत मांगने के आरोपी मेहगांव जेल उपाधीक्षक और प्रहरी को निलंबन के बाद जेल प्रहरी को एसडीएम कार्यालय मेहगांव में अटैच कर दिया है, जबकि गोहद जेल उपाधीक्षक को मेहगांव उपजेल की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

Bhind News: जेल कैदी को रिहा करने के लिए मांगी थी रिश्वत, जेल उपाधीक्षक और गार्ड दोनों संस्पेंड
प्रतीकात्मक तस्वीर

Deputy Jail Superintendent & Guard Suspended: भिंड जिले में जेल में बंद कैदी को रिहा करने के एवज में रिश्वत मांगने के आरोपी मेहगांव जेल उपाधीक्षक और प्रहरी को जिला कलेक्टर ने सस्पेंड कर दिया है. दोनों पर आरोप है कि दोनों ने जेल में बंद कैदी को रिहा करने के एवज में रिश्वत मांगी थी. जांच में दोषी मिले दोनों को कलेक्टर ने  निलंबित कर दिया.

जेल में बंद कैदी की रिहाई के लिए से रिश्वत मांगने के आरोपी मेहगांव जेल उपाधीक्षक और प्रहरी को निलंबन के बाद जेल प्रहरी को एसडीएम कार्यालय मेहगांव में अटैच कर दिया है, जबकि गोहद जेल उपाधीक्षक को मेहगांव उपजेल की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

कैदी की पत्नी से पति की रिहाई के लिए 20 हजार रुपए रिश्वत मांगने का आरोप

रिपोर्ट के मुताबिक आर्म्स एक्ट मामले में मेहगांव उप जेल में बंद ऊमरी थाना क्षेत्र के ईश्वरी गांव के राजेश सिंह की पत्नी  नीलू चौहान ने पति को जेल से जमानत पर छुड़ाने के लिए मेहगांव न्यायालय मे याचिका दायर की थी. न्यायालय ने सुनवाई करते हुए जेल में बंद सुरेंद्र सिंह राजावत को जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए.

रिश्वत देने के बाद भी प्रहरी उमेश चौहान ने पति को छोड़ने से किया इनकार

महिला जेल में बंद पति को छुड़ाने के लिए मेहगांव उपजेल पहुंची, जहां ड्यूटी पर तैनात प्रहरी उमेश चौहान ने उसे रोक लिया. महिला का आरोप था कि जेल के प्रहरी ने उससे 20 हजार की डिमांड की थी, जिसकी गुहार पीड़िता ने सहायक जेल अधीक्षक वासुदेव से लगाई, लेकिन जेलर ने एक नहीं सुनी.

जेलर ने पीड़िता को रिश्वत नहीं देने पर गुजरात जेल में भेजने की दी चेतावनी

महिला ने बताया कि जेलर ने कहा कि उसके पति के खिलाफ गुजरात में आर्म्स एक्ट के भी मामले चल रहे है, जिसमे वह फरार है. अगर पैसे नही दिए तो उसको गुजरात जेल भेज देंगे. महिला के मुताबिक उसने पति जेल से रिहा कराने के लिए 20 हजार रुपए फोन-पे के माध्यम से दे दिए, लेकिन पैसे लेने के बाद भी पति को जेल से रिहा नहीं किया गया.

15 दिन बाद पति को जेल से रिहा नहीं किए जाने पर महिला ने कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से मामले की शिकायत की. महिला ने शिकायत के साथ रिश्वत देने के पर्याप्त सबूत भी पेश किए. साथ ही,वह फोन पे नम्बर का स्क्रीन शॉट दिए, जिस नम्बर पर पैसे ट्रांसफर किए गए थे.

कलेक्टर की जांच में सहायक जेल अधीक्षक मांझी एवं प्रहरी चौहान दोषी पाए गए

महिला की शिकायत पर उपलब्ध कराए नंबर पर कलेक्टर ने फोन किया तो मामले का खुलासा हो गया. इसके बाद कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने पूरे मामले की जांच कराई और सहायक जेल अधीक्षक मांझी एवं प्रहरी चौहान दोषी पाए गए. कलेक्टर ने दोनों पर कार्यवाही करते हुए उनरो निलंबित कर दिया.

निलंबित सहायक जेल उपाधीक्षक वासुदेव मांझी ने सफाई देते हुए खुद बताया बेकसूर 

हालांकि निलंबित सहायक जेल उपाधीक्षक वासुदेव मांझी ने सफाई देते हुए कहा है कि बो बेकसूर है. जेलर का कहना है कि जमानत अगर उसकी हो गई थी. वह गुजरात जेल से फरार चल रहा था. उसको गुजरात जेल भेजना था. उन्होंने 20 हजार रुपए रिश्वत के आरोप झूठा करार देते हुए कहा कि रक्षाबंधन त्यौहार के चलते रिहाई में देरी हो गया था. 

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