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This Article is From Jan 16, 2024

कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद BJP में शामिल हुए आनंद शर्मा, कहा- पार्टी के इस फैसले से मेरी भावनाएं हुई आहत

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए आनंद शर्मा ने कहा कि भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में विराजमान होने के मामले में कांग्रेस के अपनाए गए तरीके मेरे मन मे गहरी पीड़ा और वेदना हुई है. इस पीड़ा के चलते ही मुझे कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने का निर्णय लेना पड़ा.

कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद BJP में शामिल हुए आनंद शर्मा, कहा- पार्टी के इस फैसले से मेरी भावनाएं हुई आहत
कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद BJP में शामिल हुए आनंद शर्मा, कहा- पार्टी के इस फैसले से मेरी भावनाएं हुई आहत

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. सोमवार को दिल्ली में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात करने के बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस छोड़ने का एलान किया था. दरअसल, शर्मा बीते पांच साल से कांग्रेस में नेतृत्व की मनमानी, उपेक्षा और हाल ही में विधानसभा चुनाव हारे क्षेत्रीय विधायक के व्यवहार से आहत थे. यही वजह है शर्मा ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शमिल हो गए. शर्मा ने कहा कि भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में विराजमान होने के मामले में कांग्रेस के अपनाए गए तरीके मेरे मन मे गहरी पीड़ा और वेदना हुई है. इस पीड़ा के चलते ही मुझे कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने का निर्णय लेना पड़ा.

तीन बार रह चुके हैं पार्षद 

आनंद शर्मा कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते हैं. ग्वालियर जिले में कांग्रेस के एक मजबूत और समर्पित नेता की छवि वाले आनंद शर्मा 3 बार पार्षद का चुनाव जीते लेकिन पिछली बार विधायक प्रवीण पाठक ने उन्हें टिकट नहीं मिलने दिया था. वे लंबे समय से कांग्रेस के जिला महामंत्री रह चुके हैं. अभी वह कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष हैं. कांग्रेस सरकार के समय वह जिला सरकार के नगरीय विकास समिति के चेयरमैन और योजना मंडल के सदस्य थे. उन्होंने आज मंगलवार को जिला भाजपा कार्यालय पहुंचकर पार्टी के जिला अध्यक्ष अभय चौधरी के समक्ष भाजपा की सदस्यता ग्रहण की.

कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए आनंद शर्मा ने कहा कि जागो प्रभु दारुण दुख देही ताकि मत पहले हार लेही, यह चौपाई वर्तमान में सच साबित हो रही है. वर्तमान में हमने देखा कि कांग्रेस ने करोड़ों भारतीयों के आराध्य देव भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में न जाने का जो फैसला किया है... इससे देश के करोड़ों भारतीयों को और मेरे जैसे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को बड़ी मानसिक वेदनाओं का सामना करना पड़ा. इसी का नतीजा है कि मैंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया और भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है.

आनंद शर्मा

कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए वरिष्ठ नेता

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पार्टी की इस बात से भी थे आहत 


मालूम हो कि शर्मा और विधायक के बीच शुरू से ही शीतयुद्ध चल रहा है. शर्मा भी ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट से कांग्रेस टिकट के दावेदार थे लेकिन टिकट प्रवीण पाठक को मिलने से दोनों के बीच दूरियां बन गई, मूलतः सिंधिया के समर्थक रहे शर्मा विद्रोह के समय सिंधिया के साथ न जाकर कांग्रेस में ही रुके लेकिन पार्टी में उन्हें काफी अपमानजनक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. एक बार उन्हें कांग्रेस का प्रदेश पदाधिकारी बनाया गया. दोपहर में कांग्रेस दफ्तर में उनका स्वागत और सम्मान किया गया और चार घंटे बाद उन्हें हटा दिया गया लेकिन वे खून का घूंट पीकर भी काम करते रहे.

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