संगीत सम्राट तानसेन के शहर ग्वालियर (Gwalior) में बीती शाम अनूठी पहल हुई. यूनेस्को द्वारा ग्वालियर को म्यूजिक सिटी घोषित करने के बाद 'विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह' (World Music Festival Tansen Samaroh) का आयोजन किया गया. इस दौरान शहर सुर-साज की संगीत से महक गईं. दरअसल, इसके तहत शहर के पंद्रह स्थानों पर विशिष्ट संगीत सभाएं आयोजित हुई, जिसमें सुरों का उत्सव हुआ. इन सभा में ग्वालियर के वरिष्ठ और उदयीमान कलाकारों ने सुर और वाद्यों पर ऐसे राग छेड़े कि दिसम्बर की सर्द शाम सुरों से गर्माहट का अहसास कराने लगी. बता दें कि तानसेन समारोह के 99 वर्ष के इतिहास में यह पहला मौका था, जब सुरों की नगरी ग्वालियर में इतनी बड़ी संख्या में एक साथ संगीत सभाएं हुई.
सुमधुर गायन से गुंजायमान हुआ महाराज बाड़ा
'तानसेन संगीत महफिल' के तहत शहर के हृदय स्थल महाराज बाड़ा पर स्थित टाउनहॉल में खूब सुर सजे. यहां सभा की शुरूआत हेमांग कोल्हरकर के गायन से हुई. हेमांग ने राग 'पूरिया धनाश्री' में गायन की प्रस्तुति दी. एक ताल में निबद्ध विलंबित बंदिश के बोल थे-'लागी मोरी लगन'. उनके द्वारा प्रस्तुत तीन ताल में मध्यलय की बंदिश के बोल थे-'काहे अब तुम आए हो.' उनके साथ तबले पर मनीष करवड़े और हारमोनियम पर डॉ. अनूप मोघे ने संगत की. इसी सभा के दूसरे कलाकार थे देश के अग्रणी हवाईन गिटार वादक पं. सुनील पावगी. पं. पावगी ने राग 'धानी' में अपना वादन पेश किया. आलाप, जोड़, झाला से शुरू करके इस राग में उन्होंने दो गतें पेश की. विलंबित गत झपताल और द्रुत गत तीन ताल में निबद्ध थी. उन्होंने वादन का समापन अपने भैरवी की धुन से किया. उनके साथ तबले पर डॉ. विनय विन्दे ने संगत की.
गायन-वादन से बैजाताल में उठीं जल तरंगें
बैजाताल पर सजी 'तानसेन संगीत महफिल' में उदयीमान गायक सुदीप भदौरिया का ध्रुपद गायन और राजेन्द्र विश्वरुप का सुरबहार वादन हुआ. सुदीप ने अपना गायन राग यमन में पेश किया. उनके गायन से रसिक मंत्रमुग्ध हो गए और एक बारगी ऐसा लगा कि बैजाताल के पानी में जल तरंगें उठ रही हैं. उन्होंने आलाप, मध्यलय, आलाप, द्रुतलय आलाप के बाद उन्होंने धमार में निबद्ध बंदिश पेश की, जिसके बोल थे-'केसर रंग घोर के बनो है. दूसरी बंदिश-गणपति गणेश-जलद सूलताल में निबद्ध थी. उनके साथ पखावज पर पं. संजय पंत आगले ने साथ दिया. तानपुरे पर साकेत कुमार व युक्ता सिंह तोमर ने साथ दिया. दूसरी प्रस्तुति में वरिष्ठ कलाकार राजेन्द्र विश्वरुप ने सुमधुर सुरबहार वादन पेश किया. उन्होंने राज कल्याणी में आलाप जोड़, झाला से शुरू करके चौताल में एक गत पेश की. उनका वादन गांमीर्य और माघुर्य से परिपूर्ण था. वादन में पं. संजय पंत आगले ने संगत की.
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किले पर भी गूंजी स्वर लहरियां
'तानसेन संगीत महफिल' के तहत ग्वालियर किले पर सजी संगीत सभा की शुरुआत मीरा वैष्णव के गायन से हुई. उन्होंने राग पुरिया कल्याण में दो बंदिशें पेश की. एक ताल में विलंबित बंदिश के बोल थे होवन लागी सांझ जबकि मध्यलय तीनतालकी बंदिश के बोल देह बहुत दिन बीते. आपने एक तराना भी पेश किया. इसके बाद इसी सभा में जनाब सलमान खान का सुमधुर सारंगी वादन भी हुआ. इन प्रस्तुतियों में हारमोनियम पर नवनीत कौशल व तबले पर शाहरुख खान ने साथ दिया.
गंगादास की शाला में भी महके सुर
इस मौके पर गंगादासजी की बड़ी शाला-सिद्धपीठ गंगादास की बड़ी शाला में भी सुर महके. सभा की शुरूआत जाने-माने सितार वादक पं. भरत नायक के वादन से हुई. उन्होंने राग पूरिया कल्याण में वादन पेश किया. सभा के दूसरे कलाकार थे वरिष्ठ गायक पं. महेश दत्त पांडे. उन्होंने राग मारु विहाग में अपना गायन पेश किया.
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जयविलास पैलेस में बिखरे राग मधुवंती के सुर
जयविलास पैलेस में सजी तानसेन संगीत महफिल में पं. राम उमड़ेकर का सितार वादन और पं. उमेश कंपूवाले का खयाल गायन हुआ. सभा की शुरूआत पं. उमेश कंपूवाले के गायन से हुई. उन्होंने राग मधुवंती में अपना गायन पेश किया. इस राग में उन्होंने दो बंदिशें पेश की. गायन का समापन उन्होंने मराठी अभंग से किया. आपके साथ तबले पर पांडुरग तैलंग और हारमोनियम पर अक्षत मिश्रा ने साथ दिया.
हस्सू-हद्दू खां सभागार में गूंजी ध्रुपद की बंदिशें
हस्सू खां हद्दू सभागार में आयोजित तानसेन संगीत महफिल में तेजस भाटे ने ध्रुपद गायन की प्रस्तुति दी. आलाप, मध्यलय आलाप और एवं द्रुत लय आलाप से शुरू की. उन्होंने राग गायन में धमार पेश किया. इसके अलावा द्वारिकाधीश मंदिर खयाल गायन से गुंजायमान हुआ. आयोजित सभा का आगाज मनोज नाइक के सितार वादन से हुआ. इस मौके पर तानसेन संगीत महाविद्यालय भी ध्रुपदमय हुआ.
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