
Kerosene-Powered Refrigerator: अपनी स्थापना के 75 वर्ष से अधिक का गौरवशाली इतिहास संजोए सागर यूनिवर्सिटी (डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय) मध्य प्रदेश में ज्ञान और विज्ञान का एक प्रमुख केंद्र रही है. इस विश्वविद्यालय के वैली कैंपस में स्थापित गौर संग्रहालय न केवल विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर की विरासत को संरक्षित करता है, बल्कि यहां मध्यप्रदेश की कला, संस्कृति और सेना के शौर्य से जुड़ी वस्तुएं भी प्रदर्शित की गई हैं.
गौर संग्रहालय में स्थापित मेडिकल म्यूजियम खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उपयोग में लाए गए दुर्लभ चिकित्सा उपकरणों को सहेज कर रखा गया है. इन्हीं दुर्लभ वस्तुओं में एक अनोखा फ्रिज भी है, जो आज से करीब 100 साल पुराना है. खास बात यह है कि यह फ्रिज बिजली से नहीं, बल्कि केरोसिन से चलता था.
इस काम के लिए होता था इस्तेमाल
यह फ्रिज उस दौर का है जब बिजली का आविष्कार तो हो चुका था, लेकिन उसकी उपलब्धता आम जनजीवन तक सीमित नहीं थी. यहां तक कि जहां बिजली मौजूद थी, वहां भी उसकी आपूर्ति लगातार नहीं हो पाती थी. ऐसे में आवश्यक दवाओं और अन्य संवेदनशील वस्तुओं को ठंडा रखने के लिए केरोसिन चालित फ्रिज का इस्तेमाल किया जाता था. यह फ्रिज उस समय चिकित्सा जगत के लिए बड़ी उपलब्धि था.
सागर यूनिवर्सिटी की स्थापना वर्ष 1946 में, देश की आज़ादी से पहले ही हो गई थी. इसके साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में एक अस्पताल भी स्थापित किया गया था. अस्पताल में उपयोग होने वाली ठंडे तापमान पर सुरक्षित रखने वाली दवाओं को इसी फ्रिज में रखा जाता था.
इतिहास की एक बेशकीमती विरासत...
आज भले ही तकनीक ने इतनी तरक्की कर ली है कि ऊर्जा की बचत और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर आधुनिक रेफ्रिजरेटर तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन सागर यूनिवर्सिटी के गौर संग्रहालय में सहेजा गया यह केरोसिन से चलने वाला फ्रिज तकनीक के इतिहास की एक बेशकीमती विरासत है.
यह फ्रिज न सिर्फ तकनीकी प्रगति की झलक देता है, बल्कि यह भी बताता है कि किस तरह सीमित संसाधनों के बीच भी चिकित्सा सेवाएं दी जाती थीं. गौर संग्रहालय का यह अनोखा संग्रह दर्शकों को उस दौर की झलक दिखाता है, जब विज्ञान और चिकित्सा ने सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी राह बनाई.
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