Mahashivratri 2024: हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि (Mahashivratri Puja) के पर्व का बेहद खास महत्व होता है. फाल्गुन माह में बनाए जाने वाले इस त्योहार को साल 2024 में 8 मार्च को बनाया जाएगा, हिंदू धर्म में भोलेनाथ के मंदिर (Bholenath) में पूजा करने के बाद आपने कुछ लोगों को शिवलिंग के सामने तीन बार ताली बजाते हुए देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं शिव प्रांगण में तीन ताली क्यों बजाई जाती है? पंडित दुर्गेश ने तीन बार ताली बजाने (Clapping at shiv mandir) के पीछे के रहस्य के बारे में बताया. आइए जानते हैं इसके महत्व के बारे में.
तीन बार ताली की कहानी
पहली बार ताली बजाने का अर्थ है भगवान को अपनी मौजूदगी दर्ज कराना, भगवान के दरबार पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के बाद दूसरी ताली बजाकर महादेव से अपने कष्टों और दुखों के निवारण के लिए याचना की जाती है. वहीं तीसरी बार ताली बजाने का शिवजी के मंदिर में एक अलग महत्व है, इस ताली में जातक भगवान से प्रार्थना करता है कि वे अपना आशीर्वाद सबसे उस पर बनाए रखें.
रावण ने बजाई थी तीन ताली
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो रावण एक महान पंडित और बहुत बड़ा विद्वान था. संसार में रावण जैसा शूरवीर, ज्ञानी और योद्धा भी नहीं हुआ. रावण में भक्ति आराधना का गुण था. रावण अपनी भक्ति की शक्ति से भोलेनाथ की आराधना करता था. रावण ने अपना एक धड़ अलग करके भोलेनाथ के कदमों में रख दिया और 3 बार ताली बजाकर उपस्थिति जतायी थी. तब से तीन ताली बजाने की परंपरा चलने लगी.
कृष्ण जी ने तीन ताली बजाकर मांगी थी संतान
भगवान श्रीकृष्ण के अनेकों पटरानी थी लेकिन भगवान श्रीकृष्ण को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी. जिसके बाद उन्होंने भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा अर्चना की तथा 3 बार ताली बजाकर महादेव से संतान प्राप्ति हेतु प्रार्थना की. जिस समय रामेश्वरम में भगवान महादेव की स्थापना श्रीराम कर रहे थे, उस समय उन्होंने भी 3 बार ताली बजाकर भगवान महादेव के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी और राम सेतु के सफल निर्माण के लिए मनोकामना मांगी थी.
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