Human Rights Day 2024: हर साल 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है, जो दुनिया भर में सभी लोगों के लिए समानता, न्याय और सम्मान के महत्व की याद दिलाता है. मानवाधिकार मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के प्रमुख वोल्कर टर्क जिनेवा में अपने संबोधन के दौरान इस दिवस के पहले कहा है कि मौजूदा दौर में मानवाधिकारों का ना केवल उल्लंघन किया जा रहा है, बल्कि उन्हें औज़ार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है. मानवाधिकार मामलों के प्रमुख ने चिन्ता जताई कि जानबूझकर ग़लत जानकारी फैलाने (Disinformation) के मामलों में तेज़ी आ रही है. उन्होंने कहा कि बुनियादी मानवाधिकारों के लिए चुनौतियाँ बढ़ रही है, जिसके मद्देनज़र वैश्विक एकजुटता और निर्णायक ढंग से क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है.
This #HumanRightsDay, I call for urgent action to protect #OurRightsOurFuture - right now. Human rights are not just ideals for some - they are justice for all. They are the foundation of our shared existence & the measure of our humanity. Protecting them is protecting ourselves. pic.twitter.com/JZ9ITyQDCo
— Volker Türk (@volker_turk) December 9, 2024
मानवाधिकार क्या हैं? (What is Human Rights)
सामान्यत: मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो हमारे पास इसलिये हैं क्योंकि हम मनुष्य हैं. राष्ट्रीयता, लिंग, राष्ट्रीय या जातीय मूल, रंग, धर्म, भाषा या किसी अन्य स्थिति की परवाह किये बिना ये हम सभी के लिये सार्वभौमिक अधिकार हैं. इनमें सबसे मौलिक, जीवन के अधिकार से लेकर वे अधिकार शामिल हैं जो जीवन को जीने लायक बनाते हैं, जैसे कि भोजन, शिक्षा, काम, स्वास्थ्य और स्वतंत्रता का अधिकार.
मानवाधिकार राज्य यानी सरकार द्वारा प्रदान नहीं किए जाते - वे सभी के, हर जगह, केवल मानव होने के कारण होते हैं. वे जाति, लिंग, राष्ट्रीयता या मान्यताओं से परे होते हैं, तथा सभी के लिए अंतर्निहित समानता और सम्मान सुनिश्चित करते हैं.
मानवाधिकार अविभाज्य और अन्योन्याश्रित हैं, जिसका अर्थ है कि एक अधिकार की पूर्ति अक्सर अन्य अधिकारों पर निर्भर करती है. उदाहरण के लिए, शिक्षा का अधिकार राजनीतिक अधिकारों का प्रयोग करने के लिए महत्वपूर्ण है, जैसे कि चुनाव में मतदान करना. इसी तरह, स्वास्थ्य का अधिकार और स्वच्छ जल तक पहुँच जीवन और सम्मान के अधिकार के लिए महत्वपूर्ण हैं.
मानवाधिकार केवल अमूर्त विचार नहीं हैं, विभिन्न घोषणाओं, संधियों और विधेयकों के माध्यम से वे कार्यान्वयन योग्य मानक बन गए हैं.
इस बार की थीम Our Rights, Our Future, Right Now निर्धारित की गई है. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद युद्ध अपराध, नस्लभेद, मनमानी हिरासत और युद्ध के हथियार के रूप में बलात्कार जैसे गम्भीर अन्तरराष्ट्रीय मुद्दे पर विचार-विमर्श करती है.
सार्वभौमिक घोषणापत्र में अनुच्छेद 4 से लेकर अनुच्छेद 21 तक नागरिक व राजनीतिक अधिकारों के बारे में विस्तार से बताया गया है. इनके अन्तर्गत आने वाले प्रमुख अधिकार इस प्रकार हैं-
- दासता से मुक्ति का अधिकार
- निर्दयी, अमानवीय व्यवहार अथवा सजा से मुक्ति का अधिकार
- कानून के समक्ष समानता का अधिकार
- प्रभावशाली न्यायिक उपचार का अधिकार
- आवागमन तथा निवास स्थान चुनने की स्वतंत्रता
- शादी करके घर बसाने का अधिकार
- विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- उचित निष्पक्ष मुकदमें का अधिकार
- मनमर्जी की गिरफ्तारी अथवा बंदीकरण से मुक्ति का अधिकार
- न्यायालय द्वारा सार्वजनिक सुनवाई का अधिकार
- अपराधी साबित होने से पहले बेगुनाह माने जाने का अधिकार
- व्यक्ति की गोपनीयता, घर,परिवार तथा पत्र व्यवहार में अवांछनीय हस्तक्षेप पर प्रतिबंध
- शांतिपूर्ण ढंग से किसी स्थान पर इकट्ठा होने का अधिकार
- शरणागति प्राप्त करने का अधिकार
- राष्ट्रीयता का अधिकार
- अपने देश की सरकारी गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार
- अपने देश की सार्वजनिक सेवाओं तक सामान पहुँच का अधिकार
आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकार- नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों के अतिरिक्त, घोषणापत्र के अगले छह अनुच्छेदों में आर्थिक,सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकारों के बारे में बताया गया है. इनके अंतर्गत आने वाले प्रमुख अधिकार निम्नलिखित हैं-
- सामाजिक सुरक्षा का अधिकार
- समान काम के लिये समान वेतन का अधिकार
- काम करने का अधिकार
- आराम तथा फुर्सत का अधिकार
- शिक्षा तथा समाज के सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने का अधिकार
भारत में मानवाधिकार क्या हैं? (Human Rights in India)
भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अनुसार, संविधान द्वारा गारंटीकृत व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान से संबंधित अधिकारों के रूप में मानवाधिकार या अंतर्राष्ट्रीय अनुबंधों में सन्निहित तथा भारत में अदालतों द्वारा लागू किये जाने योग्य हैं.
भारतीय संविधान में मानवाधिकारों के कई प्रावधानों को शामिल किया गया है. मौलिक अधिकारों का भाग III अनुच्छेद 14 से 32 तक. संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 तक भारत के प्रत्येक नागरिक को समानता के अधिकार की गारंटी देते हैं. अनुच्छेद 19 भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है और अनुच्छेद 21 जीवन एवं स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है. मौलिक मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले में नागरिक अनुच्छेद 32 के तहत उच्चतम न्यायालय और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय जा सकते हैं. राज्य के नीति निदेशक तत्त्व अनुच्छेद 36 से 51 तक भारत मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा का हस्ताक्षरकर्त्ता है और उसने ICESCR एवं ICCPR की पुष्टि की है.
इतिहास क्या कहता है? (Human Rights Day History)
द्वितीय विश्व युद्ध (वर्ष 1939-45) के बाद शुरू हुई घोषणाओं और अनुबंधों की एक शृंखला से सार्वभौमिक मानवाधिकार स्पष्ट हुए थे. वर्ष 1948 में पहली बार देश सार्वभौमिक मानवाधिकारों की व्यापक सूची पर सहमत हुए. उसी वर्ष दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UHDR), मील का पत्थर जो अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के विकास को गहराई से प्रभावित करेगा को अपनाया. UHDR के 30 लेख वर्तमान और भविष्य के मानवाधिकार सम्मेलनों, संधियों और अन्य कानूनी उपकरणों के सिद्धांत तथा निर्माण खंड प्रदान करते हैं.
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