
Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा भारत की एक महान सांस्कृतिक परंपरा है, जो गुरु-शिष्य संबंध को आदर और श्रद्धा के साथ मनाने का पर्व है. हम सब मनुष्यों के जीवन निर्माण में गुरुओं की अहम भूमिका होती है. देश दुनिया में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का बड़ा महत्व है. इस दिन लोग अपने गुरुओं को नमन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि अषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं. भगवान विष्णु इस समय चार मास के लिये शयन कक्ष में हैं. इसीलिए, इस समय गुरु की महत्ता बहुत ज्यादा है. बीती एकादशी को भगवान विष्णु शंखासुर का वध करके शयन कक्ष में चले गये हैं.
क्यों मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा का पर्व? Guru Purnima History
गुरु पूर्णिमा मुख्य रूप से हमारे गुरुओं के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करने का दिन है. ये गुरु औपचारिक आध्यात्मिक शिक्षक या कोई भी व्यक्ति हो सकते हैं जो हमें ज्ञान और बुद्धि और हमारे जीवन पथ पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा को महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म दिवस माना जाता है. उनके सम्मान में इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. शास्त्रों में यह भी कहा जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने चारों वेद की रचना की थी और इसी कारण से उनका नाम वेद व्यास पड़ा.
वहीं गुरु पूर्णिमा को उस दिन के रूप में भी मनाते हैं जब गौतम बुद्ध ने भारत के सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था. इस प्रवचन ने उनकी शिक्षाओं और ज्ञान प्राप्ति के बौद्ध मार्ग की शुरुआत को चिह्नित किया था.
गुरु पूर्णिमा तिथि 2025 Guru Purnima 2025 Date Time Tithi
पंचांग के मुताबिक आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जुलाई को रात 01 बजकर 37 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 11 जुलाई रात को 02 बजकर 07 मिनट पर तिथि खत्म होगी. इस प्रकार से 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया
गुरु पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त Guru Purnima Shubh Muhurt
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:10–4:50 बजेअभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:59–12:54 बजेविजय मुहूर्त: दोपहर 12:45–3:40 बजेगोधूलि मुहूर्त: शाम 7:21–7:41 बजे
गुरु पूर्णिमा का महत्व Guru Purnima 2025 Significance
इस दिन सभी गुरुओं को नमन किया जाता है. इसके अगले दिन से सावन मास प्रारंभ हो जाता है, जिसका उत्तर भारत में बहुत महत्व है. इस खास अवसर पर भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और वेद व्यास जी की पूजा-अर्चना करने का खास महत्व है. वहीं गुरु की हमारे जीवन में महत्व को समझाने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा पर लोग अपने गुरुओं को उपहार देते हैं और उनका आर्शीवाद लेते हैं.
गुरु पूर्णिमा मैसेज Guru Purnima Message Wishes

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गुरु पूर्णिमा पूजा विधि Guru Purnima Puja Vidhi
जल्दी उठकर स्नान करें : इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. आप चाहे तो किसी पवित्र नदी में भी स्नान कर सकते हैं या नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिला लें.
व्रत का संकल्प लीजिए : नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें, अगर व्रत कर रहे हैं तो उसका संकल्प लें. सभी देवी देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करें, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें.
सात्विक चीजों का भोग लगाएं : भोग लगाते समय एक तुलसी का पत्ता जरूर डालें और इस दौरान केवल सात्विक चीजों का भोग लगाएं. अगर आपके घर में महर्षि वेदव्यास जी की प्रतिमा है, तो तिलक लगाकर उनका पूजन करें, उनका ध्यान करें.

गुरुओं का ध्यान करें : अपने गुरुओं का ध्यान करें और गुरु का आशीर्वाद लें. गुरु पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है, चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा करें. गुरु पूर्णिमा के दिन किसी जरूरतमंद को दान करें और गाय को चारा या भोजन जरूर खिलाएं.
गुरु पूर्णिमा मंत्र : गुरु पूर्णिमा के दिन ॐ बृं बृहस्पतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करने से कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में सुख शांति और समृद्धि का वास होता है.
कुंडली में गुरु दोष का क्या असर पड़ता है? Guru Dosh in Kundali
गुरु शिक्षा, करियर, विवाह, संतान, धन और समृद्धि, स्वास्थ्य और दीर्घायु, आध्यात्मिक विकास का कारक ग्रह है. कुंडली में गुरु दूषित हो तो इन क्षेत्रों पर व्यक्ति को परेशानी झेलनी पड़ती है. करियर में बाधाएं आती है, विवाह-संतान में विलंब, शिक्षा पर नकारात्मक असर और धन का संकट घहराने लगता है. करियर में उन्नति पाना चाहते हैं, तो गुरु पूर्णिमा पर पीले वस्त्र, पीली दाल, केसर, घी, पीतल, पीले रंग की मिठाई आदि का दान कर सकते हैं. कुंडली में गुरु दोष से मुक्ति पाना है तो गुरु पूर्णिमा पर सुबह केले के पेड़ में जल में हल्दी मिलाकर अर्पित करें. पीले फूल, चने की दाल चढ़ाएं और शाम को घी का दीपक लगाएं. इस दौरान ‘ॐ बृं बृहस्पते नम:' मंत्र का जाप करें. कहते हैं इससे दुर्भाग्य सौभाग्य में बदलने लगता है. गुरु दोष के दुष्प्रभाव से मुक्ति या प्रभाव को कम करने के लिए गुरु पूर्णिमा पर अपने पूजा घर में गुरु यंत्र की स्थापना करके पूजन करें. उसके बाद हर गुरुवार को विधिपूर्वक पूजा करें. इससे आपके जीवन में गुरु ग्रह का सकारात्मक प्रभाव बढ़ेगा, आपकी तरक्की होगी. कमजोर गुरु ग्रह मजबूत होगा.
MP में होंगे ये प्रोग्राम
इस अवसर पर गुरु की महानता के प्रति आदर प्रकट करने के उद्देश्य से संस्कृति विभाग द्वारा 10 जुलाई, 2025 को गुरु पूर्णिमा पर्व का आयोजन वृहद स्तर पर किया जा रहा है. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर भोपाल सहित संस्कृति विभाग के प्रदेश के विभिन्न शहरों में स्थित संगीत महाविद्यालयों में एक साथ गायन-वादन एवं नृत्य केन्द्रित आयोजन होंगे. भोपाल में मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में 10 जुलाई, 2025 को सायं 7 बजे से ''गुरु पूर्णिमा पर्व'' का आयोजन होगा. इसमें सबसे पहले सितार-संतूर जुगलबंदी की प्रस्तुति होगी, जिसे उज्जैन की सुप्रसिद्ध संस्कृति-प्रकृति वाहने (वाहने सिस्टर्स) द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा. इसके बाद गायन जुगलबंदी ''गुरु सुमिरन'' होगी, जिसे रुचिरा केदार, पुणे एवं आस्था गोस्वामी, वृंदावन द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा.
इसी तरह शासकीय संगीत महाविद्यालय, मंदसौर में योगिनी - सुदीप, ग्वालियर का गायन और विठ्ठल कुमार राजपुरा, इंदौर का पखावज वादन होगा. शासकीय संगीत महाविद्यालय, मैहर में डॉ. लवली शर्मा, खैरागढ़ का सितार वादन और मनोज पाटीदार, भोपाल का तबला एकल वादन होगा. शासकीय संगीत महाविद्यालय, इंदौर में यश देवले, ग्वालियर का शास्त्रीय गायन और नीलांगी कलंतरे, जबलपुर का कथक समूह नृत्य प्रस्तुति होगी. शासकीय संगीत महाविद्यालय, धार में विजय सप्रे, भोपाल का शास्त्रीय गायन और डॉ. वी. अनुराधा सिंह, भोपाल की कथक समूह नृत्य की प्रस्तुति होगी. सभी कार्यक्रमों में प्रवेश नि:शुल्क रहेगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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