
Buck Moon in India: जुलाई महीने का पूर्णिमा का चांद, जिसे बक मून के नाम से भी जाना जाता है और Full Moon भी कहा जाता है, इस साल गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2025) के साथ पड़ रहा है. ये प्राकृतिक सुंदरता को सांस्कृतिक महत्व के साथ जोड़ रहा है. गुरु पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत खास महत्व माना जाता है. इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा (Vyas Purnima) के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसी तिथि पर महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. महर्षि वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे. आइए आपको इसके बारे में थोड़ा विस्तार से बताते हैं.

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कब है गुरु पूर्णिमा 2025?
जुलाई महीने की पूर्णिमा की तिथि 11 जुलाई को सुबह 2:08 बजे पर अपने चरम पर होगी. यह खगोलीय घटना पूरे भारत में दिखाई देगी, बशर्ते मौसम साफ हो. इसे अपनी नंगी आंखों से देखा जा सकता है, खासकर 10 जुलाई को शाम 7:42 बजे के आसपास चंद्रोदय के बाद इसे देखना सबसे अच्छा हो सकता है.
क्यों है इस खास संयोग का महत्व?
भारत में बक मून का गुरु पूर्णिमा के साथ होना एक विशेष आध्यात्मिक अवसर है, जो शिक्षकों, गुरुओं और ज्ञान का सम्मान करता है. यह संयोग इस प्राकृतिक सुंदरता में कृतज्ञता और आत्मनिरीक्षण के विषयों को जोड़कर इसके सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाता है. पूर्णिमा तब होती है, जब चंद्रमा आकाश में सूर्य के ठीक विपरीत होता है, जिससे यह पृथ्वी से देखने पर पूरी तरह से प्रकाशित दिखाई देता है.

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बक मून के अन्य नाम
बक मून का नाम उत्तरी अमेरिका में उस मौसम से पड़ा है जब नर हिरणों (बक्स) के सींग बढ़ने लगते हैं. इसे अन्य संस्कृतियों में विभिन्न नामों से भी जाना जाता है, जैसे थंडर मून (जुलाई में अक्सर आने वाले तूफानों के कारण), सैल्मन मून (कुछ क्षेत्रों में सैल्मन मछली के अंडे देने से जुड़ा), या हे मून (यूरोपीय परंपराओं में मध्य-ग्रीष्मकालीन फसल से संबंधित).
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यह चंद्र घटना पृथ्वी के अपहेलियन (सूर्य से अपनी कक्षा में सबसे दूर बिंदु) तक पहुंचने के कुछ दिनों बाद होती है, जिससे यह 2025 में सूर्य से सबसे दूर की पूर्णिमा बन जाएगी.
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