Dussehra 2023: देशभर में दशहरे (Dussehra) के त्योहार पर रावण का पुतला दहन करने की परंपरा है. इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी. नौ दिन की नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है और दशहरे से 21वें दिन पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. इस बार दशहरा या विजयादशमी (Vijayadashami) का पर्व मंगलवार, 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन रावण दहन की परंपरा है, जोकि अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है.
दशहरा को विजयादशमी के नाम से क्यों जाना जाता है?
दशहरा (विजयादशमी व आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है. भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था और देवी दुर्गा ने नौ रात्रि व दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी. इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है. इसलिए इस दशमी को 'विजयादशमी' (Vijayadashami) के नाम से जाना जाता है. इस दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नए कामों की शुरुआत करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन जिस कार्य की शुरुआत किया जाता है उसमें विजय मिलती है. प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे.
क्यों होता है रावण दहन?
सोने की लंका का सम्राट रावण (Ravan) अस्त्र-शस्त्रों का पारंगत, तपस्वी और प्रकांड विद्वान तथा राजधर्म का ज्ञाता था. कहा जाता है कि रावण अपने दस सिर से 10 दिशाओं पर नियंत्रण कर सकता था. रावण ने ब्रह्माजी की 10 हजार वर्षों तक तपस्या की और हर 1,000वें वर्ष में उसने अपने 1 शीश की आहुति दी, इसी तरह जब वह अपना 10वां शीश चढ़ाने लगा तो ब्रह्माजी प्रकट हुए और रावण से वर मांगने को कहा. रावण ने ब्रह्माजी से ऐसा वर मांग लिया की उसे मारना मुश्किल था. चारों वेदों और 6 उपनिषदों का ज्ञान रखने वाले रावण पर जब राम ने विजय प्राप्त की तो इसे विजयादशमी कहा जाने लगा. जिसे विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है. रावण का सर्वनाश उसके क्रोध और अहंकार के कारण हुआ. राम ने जब रावण का वध किया, तो इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर देखा गया. इसी वजह से बुराई रूपी रावण के पुतले के दहन की परंपरा हर साल निभाई जाती है.
विजयादशमी तिथि 2023
दशमी तिथि प्रारंभ- दशमी तिथि 23 अक्तूबर को शाम बजकर 44 मिनट से शुरू
दशमी तिथि समाप्त- 24 अक्तूबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट तक
विजयादशमी पर शस्त्र पूजा और रावण दहन का शुभ मुहूर्त 2023
ज्योतिषाचार्य आचार्य राकेश के अनुसार, प्रदोष काल में रावण दहन करना शुभ माना जाता है और इस साल दशहरा पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं.
मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से 02 बजकर 43 मिनट तक
मुहूर्त- इस विजय मुहूर्त की अवधि शाम के समय होती जब आसमान में तारे दिखाई देते हैं.
अपराह्र पूजा का समय- दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक
गोधूलि पूजा मुहूर्त- शाम 05 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक
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रावण दहन का मुहूर्त
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में रावण दहन करना शुभ माना जाता है. ऐसे में 24 अक्तूबर को शाम 05 बजकर 43 मिनट के बाद रावण दहन किया जा सकता है. वहीं रावण दहन का सबसे उत्तम समय शाम 07 बजकर 19 मिनट से रात 08 बजकर 54 मिनट के बीच का रहेगा.
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क्या है पूजा की विधि
ज्योतिषाचार्य आचार्य राकेश के अनुसार, सुबह जल्दी उठकर साफ कपड़े पहनकर गेहूं के आटे से दशहरे की प्रतिमा बनाएं. गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें. अब प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मौली अर्पित करें. यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें. इसके बाद दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को दें और फिर अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें.