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फिंगेश्वर का अनूठा दशहरा: मौली मां के चमत्कारी मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, जानें-क्या है विशेष मान्यता

Mauli Maa Gariaband: पंचकोशी धाम में हमेशा से नवरात्रि के बाद दशहरा की अनोखी परंपरा रही है. यहां विजयादशमी के बाद माता की धूमधाम से पूजा होती है. इससे जुड़ी एक रोचक कहानी भी है.  

फिंगेश्वर का अनूठा दशहरा: मौली मां के चमत्कारी मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, जानें-क्या है विशेष मान्यता
झोपड़ी में है मौली माता का स्थान

Gariaband Dussehra: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गरियाबंद जिले के पंचकोशी धाम फिंगेश्वर (Panchkoshi Dham) में स्थित मौली मां का मंदिर (Mauli Maa Mandir) न सिर्फ अपनी प्राचीनता के लिए बल्कि राजा महाराजाओं के इतिहास से जुड़ी कई रोचक कहानियों के कारण भी प्रसिद्ध है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह न तो भव्य है और न ही पत्थरों से निर्मित है, बल्कि एक साधारण झोपड़ी के रूप में घास और मिट्टी से बना हुआ है. मान्यता है कि यहां स्थापित मौली मां बस्तर से आईं और राजा मनमोहन सिंह (Raja Manmohan Singh) को स्वप्न में दर्शन देकर इस जगह पर अपनी स्थापना करवाई थी. यहां हर साल दशहरा के बाद मां की पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

राजा की अगुवाई में निकलती है रैली

राजा की अगुवाई में निकलती है रैली

शाही रैली के साथ होती है महाआरती

फिंगेश्वर में दशहरे की परंपरा अनोखी है. यहां विजयदशमी के बाद तेरस (तीसरे दिन) को शाही दशहरा मनाया जाता है, जो मंगलवार, 15 अक्टूबर को धूमधाम से मनाया जाएगा. मंदिर परिसर और नगर को दुल्हन की तरह सजाया गया और हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं जुटे. राजा महेंद्र बहादुर सिंह की अगुवाई में शाही रैली और महाआरती इस दिन के मुख्य आकर्षण रहे.

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क्या है मौली मां की मान्यता

प्राचीन कथा के अनुसार, राजा मनमोहन सिंह के फिंगेश्वर आने के दौरान एक बुजुर्ग स्त्री ने उनसे मुलाकात की और सफेद घोड़े पर सवार होकर रहस्यमयी ढंग से गायब हो गईं. बाद में वही स्त्री उनके सपने में प्रकट होकर खुद को बस्तर की मौली मां बताया और फिंगेश्वर में रहने के लिए झोपड़ी जैसा मंदिर बनवाने को कहा. तब से आज तक मां मौली इस साधारण झोपड़ी में विराजमान हैं और श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं यहां लेकर आते हैं. उनका विश्वास होता है कि वो माता से जो मांगेंगे वो पूरा होगा.

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