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ग्वालियर में है 400 साल पुराना भगवान कार्तिकेय का मंदिर, सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही खुलता है पट

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भगवान कार्तिकेय का सबसे पुराना मंदिर है. यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है. इसके पट साल में सिर्फ एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही खुलते हैं.

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ग्वालियर में है 400 साल पुराना भगवान कार्तिकेय का मंदिर, सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही खुलता है पट
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह मंदिर ग्वालियर में सिंधिया राजाओं के शासन में बनवाया गया था.

Kartik Purnima 2023: आज कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) का दिन है. इसे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र और भगवान गणेश के भाई कार्तिकेय (Lord kartikeya) का दिन माना जाता है. मध्य प्रदेश समेत पूरे देश में कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. माना जाता है कि भगवान कार्तिकेय के दर्शन करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर (Gwalior) में भगवान कार्तिकेय का करीब 400 साल पुराना मंदिर (Lord Kartikeya Temple) है. इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर के पट साल भर में आज के दिन ही खुलते हैं, वो भी महज 24 घंटे के लिए. ऐसा शायद देश के किसी भी मंदिर में नहीं होता होगा, इसलिए इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आधी रात के बाद से ही भीड़ लगनी शुरू हो जाती है. 

400 साल पुराना है ग्वालियर का कार्तिकेय मंदिर

ग्वालियर के जीवाजी गंज क्षेत्र में मौजूद भगवान कार्तिकेय का यह मंदिर देश का सबसे प्राचीन और इकलौता मंदिर माना जाता है. इस मंदिर के लगभग 80 वर्षीय पुजारी पंडित जमुना प्रसाद शर्मा का कहना है कि यह मंदिर लगभग चार सौ साल से भी ज्यादा पुराना है. हालांकि, इस मंदिर की स्थापना कब हुई, इसका कोई उल्लेख मौजूद नहीं है. लेकिन, पुजारी बताते हैं कि जब ग्वालियर में सिंधिया राजाओं का शासन था और उन्होंने इसे अपनी राजधानी बनाया तो तत्कालीन सिंधिया शासकों ने ही इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. तब से लागातार यहां पूजा-अर्चना हो रही है.

साल में केवल एक बार होते हैं दर्शन

भगवान कार्तिकेय मंदिर के पट साल में सिर्फ एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही खुलते हैं. वैसे तो सभी मंदिरों के पट सुबह ही खुलते हैं. जिसके बाद पूजा-अर्चना और दर्शन शुरू होते हैं, लेकिन इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर के पट कार्तिक पूर्णिमा की मध्यरात्रि ठीक बारह बजे खुल जाते हैं और इसी के साथ भगवान कार्तिकेय के दर्शन शुरू हो जाते हैं. इस बार रविवार को रात बारह बजे विशेष पूजा अर्चना के साथ परंपरानुसार मंदिर के पट खोले गए. जिसके बाद पहले से ही कतार में लगे श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन करके अपनी मनोकामनाएं मांगी.

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भगवान कार्तिकेय के मंदिर के पट साल में सिर्फ एक बार ही खुलते हैं.

देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं श्रद्धालु

ग्वालियर के कार्तिकेय मंदिर में दर्शन करने के लिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के साथ ही महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और देश के अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु ग्वालियर पहुंचते हैं और भगवान कार्तिकेय के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करते हैं. भक्तों की मान्यता है कि यहां दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी होती है. इस मंदिर में प्रसाद बांटने वाले राजेंद्र शिवहरे का कहना है कि वे बीस साल से यहां प्रसाद का वितरण कर रहे हैं. बीस साल पहले जब उनकी मनोकामना पूरी हुई तो उन्होंने पांच किलो प्रसाद वितरित किया था, लेकिन मेरे परिवार में खुशियां आती गईं और प्रसाद वितरण की मात्रा बढ़ती गई. इस साल वे एक क्विंटल 11 किलो का प्रसाद वितरित कर रहे हैं.

पिछले साल एक दिन पहले खुले थे पट

पिछले साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण होने के चलते ग्वालियर के कार्तिकेय मंदिर के पट एक दिन पहले खोले गए थे. चंद्र ग्रहण के दिन सुबह ही सभी मंदिरों के पट बंद होने थे, इसलिए पंचांग के अनुसार पिछले साल एक दिन पहले कार्तिक पूर्णिमा संबंधी पूजा-विधान किए गए थे. इसी के चलते कार्तिकेय भगवान के मंदिर के पट भी एक दिन पहले  मध्यरात्रि को बारह बजे ही खोले गए थे.

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