
हमारी संस्कृति में लाल रंग (Red colour) को सुहागन का प्रतीक माना जाता है. हिंदू संस्कृति में कांच की लाल चूड़ियों को पहनना बहुत शुभ माना जाता है. चूड़ियां सोलह शृंगार में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. आपने देखा होगा पंजाबी दुल्हन (Punjabi Bride) के हाथों में कांच की चूड़ियां नहीं बल्कि पंजाबी चूड़ा (Punjabi Chooda) होता है. जैसा कि हम जानते हैं कि पंजाबी वेडिंग (Punjabi Wedding) में चूड़ा सेरेमनी बहुत ही खास रस्म होती है. आइए जानते हैं पंजाबी शादियों में इस रस्म की खासियत के बारे में..
वैसे तो आज कल न सिर्फ पंजाबी दुल्हन बल्कि हर लड़की दुल्हन बनने पर चूड़ा पहनने के लिए उत्सुक होती है. ये ट्रेंड नहीं बल्कि पंजाबियों की खास रस्म होती है.
1. मामा पहनाते हैं चूड़ा
पंजाबी शादी में दुल्हन के मामा Bride को अपने हाथों से चूड़ा पहनाते हैं. जिसमें सफेद और लाल रंग की 21 चूड़ियां होती हैं. रीति रिवाज की मानें तो, जब मामा दुल्हन को चूड़ा पहनाते हैं तो दुल्हन की मां दुल्हन की आंखें बंद कर देती है. जिससे वह चूड़े को नहीं देख पाए कहा जाता है कि दुल्हन यदि चूड़े को देखती हैं तो नजर लग जाती है.
2. मंडप पर दूल्हे के साथ देखती है चूड़ा
दुल्हन अपने चूड़े को नहीं देखती है. कहा जाता है जब दुल्हन पूरा तैयार होने के बाद मंडप पर दूल्हे के साथ बैठ जाती है तब वह इस चूड़े को देख पाती है.
3. सुहागन की निशानी है चूड़ा
पंजाबी रिवाज के मुताबिक, दुल्हन को 11 दिन से लेकर सवा साल तक चूड़ा पहनना पड़ता है, चूड़ा सुहागन का प्रतीक माना जाता है. हालांकि आजकल दुल्हन सिर्फ 40 दिनों तक ही चूड़े को पहनती है.
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