Chhath Puja Prasad 2023: दिवाली बीतने के बाद छठ (Chhath) महापर्व का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. यह पूर्वांचल का सबसे बड़ा पर्व है, जिसमें लोग श्रद्धापूर्वक छठी मैया (Chhathi Maiya) की पूजा करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य चढ़ाया जाता है. 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व के कई खास नियम हैं और प्रसाद को लेकर भी इसका अपना अलग महत्व होता है. इस साल छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत 17 नवंबर 2023 से हो चुकी है. छठ पूजा नहाय खाय (Nahay Khay) से शुरू होती है, जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास, संध्या अर्घ्य होता है और उषा अर्घ्य देकर इसकी समाप्ति होती है. लोग इसे प्रकृति का उत्सव कहते हैं. इस पर्व में प्रसाद के रूप में क्या-क्या होता है आइए जानते हैं.
ठेकुआ
छठ पूजा के अवसर पर सबसे ख़ास प्रसाद ठेकुआ (Thekua) होता है. ठेकुआ गुड़, घी और आटे से बनाया जाता है और इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. चूंकि छठ सर्दियों के दौरान मनाया जाता है, इसलिए इस प्रसाद को बनाने का एक तर्क यह दिया जाता है कि आटा, घी और गुड़ आपको गर्म रखता है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है.
रसियाव खीर
रसियाव खीर एक विशेष प्रसाद है जो छठ पूजा, खरना के दूसरे दिन तैयार किया जाता है. यह खीर गुड़, दूध और एक स्पेशल चावल जिसे अरवा कहते हैं, से बनाई जाती है. व्रती इस प्रसाद को खाकर अपना निर्जला व्रत शुरू करते हैं और उसे 36 घंटे तक पूरा किया जाता है.छठ पूजा का उत्सव खीर के बिना अधूरा है और सबसे महत्वपूर्ण प्रसादों में से एक है. इसे खाने के लिए लोगो को अपने घर में बुलाया जाता हैं .
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केला
छठ पूजा के भक्त पूजा करते समय छठी मैया को केला भी चढ़ाते हैं, जिसका अपना विशेष महत्व है. छठ मुख्य रूप से बच्चों को सर्दी के मौसम में बीमारियों से बचाने और समस्याओं से बचाने के लिए मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि केला बच्चों की लंबी उम्र के साथ-साथ परिवार की समृद्धि के लिए चढ़ाया जाता है.
नारियल
जैसा कि आपको पता है कि छठ का पर्व सर्दियों में मनाया जाता है, इसलिए इसमें शामिल ज्यादातर चीजें वो होती हैं जो मौसम में बदलाव के साथ आपके हेल्थ के लिए भी बेनिफिशियल होती हैं. मान्यता है कि नारियल (Coconut) चढ़ाने से घर में लक्ष्मी आती हैं. इसी कारण नारियल भी प्रसाद की सूची में शामिल किया जाता है.
गन्ना
जब भक्त अर्घ्य देते हैं तो प्रसाद में गन्ना होना अनिवार्य है और यह छठी मैया की पूजा के समय प्रसाद में चढ़ाया जाता है. ऐसा भी माना जाता है कि फसल केवल सूर्य की कृपा से ही उगाई जाती है, इसलिए छठ के समय नई फसल सूर्य को अर्पित की जाती है.
डाभ नींबू
छठ माता को एक विशेष प्रकार का नींबू, जिसे डाभ नींबू या अतर्रा कहा जाता है, भी चढ़ाया जाता है. यह नींबू बड़े पीले रंग का होता है और अंदर से लाल/गुलाबी रंग का होता है. खाने में यह खट्टा मीठा सा होता हैं. इसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं और यह विटामिन-सी से भरपूर होता है.
सिंघाड़ा
साफ और शुद्ध होने के कारण छठी मैय्या को सिंघाड़ा भी चढ़ाया जाता है. सिघांड़ा लक्ष्मी जी का भी प्रिय फल माना जाता है. इसे चढ़ाने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है.
सुथनी
सुथनी खाने में शकरकंदी की तरह होता है. यह फल बहुत शुद्ध माना जाता है इसलिए छठी मैय्या के डाले में सुथनी को जरूर रखते हैं. सुथनी मिट्टी से निकलता है, इसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं.