
Maa Chandraghanta Puja Vidhi : नवरात्रि का पर्व आस्था का पर्व है. भक्ति और शक्ति की उपासना का पर्व है. नौ दिनों तक हर एक दिन एक-एक माता की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का दिन होता है. मां चंद्रघंटा अपने भक्तों को सुख और तरक्की से युक्त करती हैं. शास्त्री पं. लक्ष्मीकांत द्विवेदी की मानें तो मां को पीले वस्त्र, पीले फूल और पीली मिठाई पसंद है. इसलिए इस दिन उपासक पीले वस्त्रों को धारण करेंगे, तो ये अधिक शुभांकर माना जाएगा. वहीं पूजा से जुड़ी बातें भी जानना जरूरी है.
मां की आरती
मां चंद्रघण्टा का पूजा मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
मां चंद्रघंटा की पूजा करने वाले भक्तों का सामाजिक ख्याति भी विराट होती है. उनका जीवन मां की कृपा से प्रभावशाली रहता है. घर, परिवार सामाज जहां भी आप रहेंगे, वहां आपका प्रभाव रहेगा. लेकिन आप जानते हैं कि मां चंद्रघंटा का ये नाम कैसे पड़ा. दरअसल, उनके चेहरे पर एक चंद्रमा का निशान स्थित है. इसका आकार एक घंटे जैसा है. इसलिए मां को चंद्रघंटा के नाम से पुकारा जाता है. मां की सुबह सूर्य उदय से पहले पूजा करने का विशेष महत्व है. इस दौरान लाल और पीले चढ़ाना चाहिए मां को. मां चंद्रघंटा ममता का प्रतीक हैं. वो ममतामई हैं.
मां चंद्रघंटा के उपासकों के लिए पूजा विधि
1. भक्त कोशिश करें कि ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके मां की पूजा पूर्णरूप से साफ कपड़े धारण करके करें.
2. मां को पीले कपड़े अर्पित करें, लाल-पीले फूल चढ़ाएं. पीला चंदन और पीले भोग अर्पित करें.
3. पंचमेवा, इलायची, और दूध से बनी मिठाइयां भी मां को भोग के रूप में अर्पित कर सकते हैं
4. मां चंद्रघंटा पर आधारिक मंत्रों का उच्चारण करें.
5. दुर्गा सप्तशती और अंत में मां चंद्रघंटा की आरती का पाठ भी करें.