Know Your State Madhya Pradesh : जहां पूरे देश में अक्षय तृतीया पर विवाह का मुहूर्त शुभ माना जाता है. इसी तरह मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में अक्षय तृतीया पर एक अनोखी परंपरा कई वर्षों से जारी है. जो आज भी चली आ रही है. बुंदेलखंड के हर इलाके में मिट्टी की गुड्डा और गुड़ियों की पूजा होती है. इस दिन परिवार के बच्चे अपने मिट्टी के गुड्डा-गुड़िया लेकर वट वृक्ष के नीचे जाते हैं और विवाह की रस्म को पूरी करते हैं. यही नहीं, लोग पकवान बनाकर छोटी-छोटी बच्चियां अपनी सहेलियों के साथ गुड्डा-गुड़िया का विवाह की रस्म पूरी करती है. मंगल गीत के साथ बारात और फेरे की रस्में की जाती हैं. मिट्टी के गुड्डा और गुड़िया अलग-अलग साइज में होते हैं और उनकी कीमत भी अलग-अलग है 20 रुपए से शुरू होकर 500 रुपये जोड़ी तक के गुड्डा गुड़िया बाजार में मिल रहे हैं.
जानिए इसके पीछे की मान्यता
बुंदेलखंड में ऐसी मान्यता है कि अगर किसी के घर में वैवाहिक या मांगलिक कार्य नहीं हो रहा है तो इनकी मिट्टी के बने गुड्डा गुड़ियों की वटवृक्ष के नीचे पूजा करने से विवाह संपन्न होता है. इन्हें भगवान विष्णु और लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है. कुम्हार समाज के लोग मिट्टी के गुड्डा-गुड़िया तैयार कर उनका रंग रोगन और उन्हें दुल्हा-दुल्हन की तरह सजा कर अक्षय तृतीया के पहले से बाजार में दुकाने सजकर इनकी बिक्री शुरू करते हैं.
बच्चे भी निभाते हैं ये परंपरा
परिवारों में बच्चे के साथ माता-पिता भी गुड्डे-गुड्डियों के विवाह की रस्में उसी तरह संपन्न कराते हैं, जैसे वास्तव में विवाह हो रहा हो. बच्चे पेड़ों की टहनियों को मंडपनुमा बनाकर गुड्डे-गुड्डियों को शादी के बंधन में बांधकर भेंट करने घर-घर जाएंगे.पवन प्रजापति बताते हैं कि बुंदेलखंड में गुड्डा गुड़ियों के विवाह की परंपरा कई वर्षों से जारी है उनका परिवार गुड्डा गुड़िया बनाते हैं और उन्हें दूल्हा दुल्हन का आकार देने के बाद बाजार में दुकान सजता है जहां लोग इनकी खरीदी करते हैं हर साल हजारो जोड़ी मिट्टी के दूल्हा दुल्हन बनाते हैं हमारा पूरा परिवार पिछले गर्मी के महीने से इसे बनाने में लगा हुआ है. बुंदेलखंड में अक्षय तृतीया पर इनकी बहुत मांग रहती है.
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