मध्यप्रदेश का जिला श्योपुर राजस्थान बॉर्डर के बिलकुल नजदीक है. राजस्थान से पास होने की वजह से इस जिले के इतिहास में राजपूतों का उल्लेख भी मिलता है और मुगलों का जिक्र भी आता है. बताया जाता है कि सीप नदी के किनारे बसे इस शहर में जो किला है वो 1537 ई में बनवाया गया है. जिसे जयपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले सामंत गौड़ राजपूतों के प्रमुख इंद्र सिंह ने बनवाया था. श्योपुर के इतिहास का पहला उल्लेख मिलता है एक अभिलेख में जो 1570 ई. का है. इस अभिलेख के मुताबिक सिकंदर लोधी की सेना की एक टुकड़ी को श्योपुर भेजा गया था. इसके बाद अकबर से लेकर सिंधिया शासकों तक श्योपुर के किले पर अलग अलग साम्राज्यों का आधिपत्य रहा. कुछ पौराणिक कथाओं में ऐसा भी कहा जाता है कि राजस्थान की सीमा से सटे गांव इनोटनवारी में ध्रुव ने तपस्या की थी. और एक अन्य गांव रामेश्वर में परशुराम ने तप किया था.
कूनो में आए चीते
श्योपुर के जंगल भी पुराने समय में राजा महाराजाओं के लिए शिकार का पसंदीदा स्थान रहे हैं. अब यहां कूनो नेशनल पार्क स्थित है. हाल ही में प्रोजेक्ट चीता के तहत लाए गए चीते इसी जंगल में छोड़े गए हैं. 344.686 वर्ग किमी में फैला ये नेशनल पार्क चंबल की सहायक नदी कूनो के नाम से अब दुनियाभर में मशहूर हो चुका है.
यहां के अमरुद भी है खास
श्योपुर का अमरूद भी बहुत मशहूर है. यहां इलाहाबादी सफेदा, पिंक ताइवान, एल 49 किस्म के उम्दा अमरूद मिलते हैं. जिसके चलते एक जिला एक उत्पाद के रूप में श्योपुर जिले को अमरूद ही मिला है.
त्रिवेणी संगम पर स्नान
गंगा नदी के त्रिवेणी संगम की तरह श्योपुर में भी तीन नदियों का त्रिवेणी संगम है. ये तीन नदियां हैं सीप, चंबल और बनास. जहां हर साल बड़ा मेला लगता है. लक्ष्मीनाथ और रामेश्वर महादेव का मंदिर भी यहां स्थित है, जो आस्था का बड़ा केंद्र भी है.
श्योपुर जिले को जानिए
- क्षेत्र: 6606 स्क्वे.कि.मी.
- आबादी : 687,861
- भाषा: हिंदी.
- गांव: 585
- पुरुष: 361784
- महिला: 326077
- विधानसभा सीट -2