
छत्तीसगढ़ राज्य का जिला बलौदा बाजार पहले रायपुर का भाग था. 2012 में इसे अलग जिले का दर्जा मिला है. इस जिले में सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी स्थित है. मान्यता है कि जिले के तुरतुरिया में वाल्मीकि ऋषि का आश्रम था, जहां लव कुश का जन्म हुआ था. यह जिला अपने पर्यटन केंद्रों और सीमेंट उद्योग के लिए जाना जाता है.
यहां है कुतुबमीनार से ऊंचा ‘जैतखाम'
बलौदाबाजार मुख्यालय से 40 किमी दूर महानदी और जोंक नदी के संगम पर बसा गिरोदपुरी छत्तीसगढ़ के सबसे सम्मानित तीर्थ स्थलों में से एक है. यह सतनाम पंथ के प्रवर्तक और गुरु घासीदास की जन्मस्थली है.
सिमगा से 10 किमी पर स्थित दामाखेड़ा कबीरपंथियों का तीर्थस्थल है. बलौदा बाजार शहर से 29 किमी पर तुरतुरिया पहाड़ियों से घिरा मनोरम स्थल है. मान्यता है कि तुरतुरिया के बमहरिया गांव में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था, जहां लव कुश का जन्म हुआ था. इसके अलावा यहां बारनवापारा अभ्यारण, तुरतुरिया में वाल्मीकि आश्रम, बालसमुंद तालाब के किनारे सिद्धेश्वर महादेव मंदिर मुख्य पर्यटन केंद्र हैं.
बैल और भैंसों के व्यापार के कारण पड़ा नाम
बलौदाबाजार के नामकरण को लेकर किवदंती प्रचलित है. यहां गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा और उड़ीसा से बड़ी संख्या में व्यापारी बैल और भैंसों (जिसे स्थानीय बोली में बोदा कहते हैं) के व्यापार के लिए आते थे. जिससे इस क्षेत्र को बैलबोदा कहा जाने लगा जो आगे चल कर बलौदा बाजार में बदल गया.
ब्रिटिश काल से है नहरों का जाल
जिले में धान की खेती प्रमुखता से होती है. वृष्टि छाया क्षेत्र होने के कारण यहां ब्रिटिश काल में नहरों का जाल बिछाया गया था. बलौदाबाजार शाखा नहर और लवन शाखा के माध्यम से अब भी गंगरेल बांध का पानी खेतों तक पहुंचाया जाता है.
चूना पत्थर मिलने के कारण सीमेंट उद्योग का केंद्र
बलौदाबाजार चूना पत्थर मिलने के कारण बड़ी संख्या में सीमेंट संयंत्र मिलते हैं. हिरमी और रवान में अल्ट्राटेक, रवान में अम्बूजा, सोनाडीह में लाफार्ज जैसै अंतरराष्ट्रीय सीमेंट कारखाने हैं. इसके अलावा हथकरघा उद्योग, राइस मिल, दाल मिल, पावर प्लांट भी हैं.
जिला एक नजर में
- क्षेत्रफल 4748.44 वर्ग किमी
- जनसंख्या- 1305343
- साक्षरता 70. 68%
- विकासखंड 6
- गांव 961
- विधानसभा 4