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Silkyara Tunnel Rescue: फिर रुका रेस्क्यू का काम, ड्रिलिंग मशीन के प्लेटफॉर्म में आई दरारें

उत्तराखंड के चार धाम मार्ग (Char Dham road) में निर्माणाधीन सुरंग (Under construction Tunnel) का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर को एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान शुरू होने के बाद से यह तीसरी बार है जब ड्रिलिंग कार्य रोका गया है.

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Silkyara Tunnel Rescue: फिर रुका रेस्क्यू का काम, ड्रिलिंग मशीन के प्लेटफॉर्म में आई दरारें

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड (Uttarakhand) के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) में 12 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए किए जा रहे रेस्क्यू में फिर से रुकावट आई है. जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन (Drilling machine) टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई है. बता दें कि बुधवार देर रात ऑगर मशीन (American Auger Machine) के रास्ते में आए लोहे के गर्डर को काटने में छह घंटे की देरी के बाद गुरुवार दिन में ऑपरेशन फिर से शुरू हुआ था, जिसके कुछ घंटे के बाद फिर से रुकावट आई और रेस्क्यू रोकना पड़ा.

उत्तराखंड के चार धाम मार्ग (Char Dham road) में निर्माणाधीन सुरंग (Under construction Tunnel) का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर को एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान शुरू होने के बाद से यह तीसरी बार है जब ड्रिलिंग कार्य रोका गया है.

ड्रिलिंग मशीन के प्लेटफॉर्म में आई दरारें

एक अधिकारी के अनुसार जिस प्लेटफॉर्म पर 25 टन की ड्रिलिंग मशीन लगी हुई है, उसे स्थिर करने के लिए गुरुवार को ड्रिलिंग रोक दी गई है. बताया जा रहा है कि स्ट्रक्चर में कुछ दरारें देखी गई हैं, लेकिन इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. वहीं गुरुवार दोपहर में, दिल्ली में एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दोपहर 1.10 बजे मामूली कंपन देखा गया. इसमें कहा गया कि जिस तेजी से मशीन काम कर रही थी, उसका फिर से आकलन किया जा रहा है और ऑपरेशन फिर से शुरू होगा. बता दें कि ड्रिलिंग का काम आखिरी के 10 से 12 मीटर का बचा हुआ था. इसलिए इस रुकावट से पहले, अधिकारियों को ड्रिलिंग के दौरान कोई और बाधा नहीं आने की उम्मीद थी.

आज रेस्क्यू पूरा होने की है उम्मीद

दिल्ली में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ घंटों में या कल तक हम इस ऑपरेशन में सफल हो जाएंगे." हालांकि, उन्होंने आशंका जताई कि इसमें और भी बाधाएं आ सकती हैं. वहीं मौके पर मौजूद प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया कि मलबे में अमेरिकी ऑगर मशीन से की जा रही ड्रिलिंग के दौरान लोहे का सरिया आ गया था. हालांकि, उन्होंने कहा कि उसे गैस कटर के माध्यम से काट दिया गया है. सुबह 10 बजे, उन्होंने मीडिया से कहा कि मजदूरों को निकालने में NDRF को ड्रिलिंग में 12 से 14 घंटे और उसके बाद लगभग तीन घंटे लगेंगे.

48 मीटर तक हो चुकी है ड्रिलिंग

बचाव कार्यों में को-ऑर्डिनेशन के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नोडल अधिकारी बनाए गए सचिव नीरज खैरवाल ने दोपहर दो बजे के करीब प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मलबे में 45 मीटर से आगे बढ़ने के दौरान बुधवार रात आई रुकावट के बाद 1.8 मीटर पाइप और अंदर चला गया है. वहीं एक अन्य अधिकारी ने कहा कि 48 मीटर तक ड्रिलिंग हो चुकी है.

अधिकारियों ने बताया कि एक बार पाइप मलबे के दूसरी ओर पहुंच जाए तो एनडीआरएफ के जवान उसमें जाकर मजदूरों को एक-एक कर बाहर लाएंगे जिसके लिए एक्सरसाइज कर ली गई है. मजदूरों को पहिए लगे कम ऊंचाई के स्ट्रेचर पर लेटा कर रस्सियों की सहायता से बाहर लाया जाएगा. मजदूरों को ऑक्सीजन, भोजन, पानी, दवाइयां और अन्य सामान सोमवार को डाली गई पाइपलाइन के जरिए लगातार भेजा जा रहा है.

वी के सिंह और धामी भी पहुंचे

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री वी के सिंह और एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल बचाव प्रयास की समीक्षा के लिए गुरुवार को सिल्क्यारा में थे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सिल्क्यारा पहुंचे. सुरंग में स्थापित ऑडियो कम्युनिकेशन सेटअप के माध्यम से धामी ने मजदूरों से बातचीत करते हुए उन्हें बताया कि राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है और बचावकर्मी उनके बहुत नजदीक पहुंच चुके हैं. धामी ने कहा, "हम करीब 45 मीटर से आगे आ चुके हैं. पूरा देश आपके साथ खड़ा है. आप सभी लोग हौसला बनाएं रखें." मुख्यमंत्री ने दो मजदूरों-गब्बर सिंह नेगी और सबा अहमद से मजदूरों के बारे में पूछा और सबका मनोबल बनाए रखने के लिए उन दोनों की सराहना की. धामी ने बचाव अभियान में दिन-रात जुटे मजदूरों से भी बात कर उनकी पीठ थपथपाई.

पहले भी आ चुकी है रेस्क्यू में रुकावट

सिल्क्यारा छोर से ड्रिलिंग और 800 मिमी चौड़े पाइप को डालने के काम को पहली बार शुक्रवार दोपहर को रोक दिया गया था, जब ऑगर मशीन को 22 मीटर के दूरी के आसपास एक बाधा का सामना करना पड़ा. जिससे सुरंग में कंपन पैदा हुआ जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हुईं. ड्रिलिंग मंगलवार आधी रात के आसपास फिर से शुरू हुई लेकिन अगली रात दूसरा झटका लगा. आपदा स्थल पर मौजूद, अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने पीटीआई-भाषा को बताया कि मलबे के रास्ते ड्रिलिंग करने वाली ऑगर मशीन में फिर से कुछ समस्याएं आ रही हैं. उन्होंने मौजूदा समस्या के बारे में विस्तार से नहीं बताया और उन्होंने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि मशीन में समस्या से बचाव अभियान में कितनी देरी होगी.

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जल्दबाजी से हो सकती हैं समस्याएं

अर्नोल्ड डिक्स ने कहा, ''सुरंग में फंसे हुए मजदूर सुरक्षित और स्वस्थ हैं, ऐसे में जल्दबाजी नहीं करना बहुत आवश्यक है. अगर हम इस तरह की स्थिति में जल्दबाजी करते हैं तो ऐसी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते.'' जब श्रमिक बाहर आएंगे, तो उन्हें ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से पुलिस एस्कॉर्ट के तहत एम्बुलेंस में उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थापित 41-बेड वाले विशेष वार्ड में ले जाया जाएगा. अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें अन्य चिकित्सा केंद्रों में स्थानांतरित किया जाएगा. 

एनडीआरएफ के महानिदेशक ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिक ठीक है. उन्होंने कहा, "सुरंग में काम करने वाले लोग मानसिक रूप से दृढ़ होते हैं और इन लोगों को यह भी पता है कि उन्हें बाहर निकालने के लिए जबरदस्त प्रयास किए जा रहे हैं तो वे आशान्वित हैं."

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