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NDTV EXCLUSIVE: आत्मनिर्भर भारत अभियान के हौंसले को मिली उड़ान, ग्रामीण महिलाओं के जज्बे से यहां लघु उद्योग ले रहा आकार

Self Reliance Women Group:उत्साह से लबरेज और कुछ कर गुजरने के इरादे ने आगर-मालवा की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में मदद किया. जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर पालखेड़ी गांव की ग्रामीण महिलाएं ड्रेस कोड गुलाबी साड़ी में प्रोफेशनल की तरह कारखाने की ओर रुख करती हैं.

NDTV EXCLUSIVE: आत्मनिर्भर भारत अभियान के हौंसले को मिली उड़ान, ग्रामीण महिलाओं के जज्बे से यहां लघु उद्योग ले रहा आकार
industry taking shape in agar-malwa by rural women group

Atmanirbhar Bharat Abhiyaan: मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले की महिलाएं लघु उद्योग की ओर बढ़ते कदम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर भारत अभियान को तेजी से आकार दे रही हैं. जिले की ग्रामीण महिलाओं ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत फैक्ट्री को आकार देकर पूरे देश में आत्मनिर्भरता का अलख जगाया है.

उत्साह से लबरेज और कुछ कर गुजरने के इरादे ने आगर-मालवा की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में मदद किया. जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर पालखेड़ी गांव की ग्रामीण महिलाएं ड्रेस कोड गुलाबी साड़ी में प्रोफेशनल की तरह कारखाने की ओर रुख करती हैं.

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पालखेड़ी गांव में 500 महिलाओं ने समूह बनाकर की पशु आहार यूनिट स्थापना

रिपोर्ट के मुताबिक जिले के पालखेड़ी गांव में 500 महिलाओं ने एक समूह बनाकर पशु आहार उत्पादन यूनिट की स्थापना कर इतिहास रच दिया है. इसी तरह रामपुर भूण्डवास की महिलाओं ने लिक्विड डिटर्जेंट और शैंपू का कारखाना खोलकर उन लोगों के लिए एक मिसाल पेश किया है, जो सपने देखने के लिए सोचते रह जाते हैं.

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रामपुर भूण्डवास में महिलाओं ने की डिटर्जेंट और शैम्पू का कारखाने की स्थापना

पालखेड़ी गांव में महिला समूह ने पशु आहार यूनिट और रामपुर भूण्डवास की महिलाओं द्वारा लिक्विड डिटर्जेंट और शैम्पू का कारखाना खोलकर प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को गति दी है. सातवीं आठवीं तक पढ़ी समूह की ग्रामीण महिलाएं अब अपनी एक कंपनी बनाने का ख्वाब देख रही है.

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आत्मनिर्भर भारत अभियान के सपने को अपने जुनून से जिले में फैक्ट्रियां खोलकर आर्थिक व सामाजिक रूप से सक्षम हुई ग्रामीण महिलाओं ने प्रधानमंत्री मोदी के हौंसलों को अपने जज्बे से आकार देकर आज देश- प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुई हैं.

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प्रशासन ने फैक्ट्री खोलने के लिए महिलाओं को उपलब्ध कराया अनुपयोगी भवन

गौरतलब है जिला प्रसाशन ने ग्रामीण महिलाओं को फैक्ट्रियां खोलने के लिए अनुपयोगी भवन को उपलब्ध कराया तो खाली और बेकार बिल्डिंग को एक फैक्ट्री के रूप में बदलकर महिलाओं ने कीर्तिमान रच दिया. खाली पड़ी बिल्डिंग में पशु आहार यूनिट स्थापित कर अनुसूचित वर्ग की महिलाओं ने आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिख दी है.

चूड़ी फैक्ट्री में चूड़ी बनाती हुए ग्रामीण महिलाएं

चूड़ी फैक्ट्री में चूड़ी बनाती हुए ग्रामीण महिलाएं

पशु आहार यूनिट में रोजाना 500 Kg पशु आहार का उत्पादन कर रहीं महिलाएं

रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं द्वारा संचालित पशु आहार यूनिट में रोजाना करीब 500 किलो पशु आहार का उत्पादन किया जा रहा है, जो समूह में शामिल सभी 500 महिलाओं के गौवंशों व अन्य दुधारू पशुओं के काम आता है. शेष पशु आहार ग्रामीणों को बाजार से कम दाम पर उपलब्ध कराया जाता है. ये महिलाएं गांव के कुछ युवाओं को रोजगार भी दे रही हैं.

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फैक्ट्री संचालन से गौरवंतित महसूस कर रहीं समूह की महिलाओं के चेहरे पर संतोष और उत्साह साफ देखा जा सकता है, जबकि एक वक्त था जब उनके चेहरे हीन भावना से ग्रस्त हुआ करती थीं, लेकिन आज दूसरी महिलाओं की तुलना में उन्होंने एक अलग मुकाम हासिल कर लिया है. 

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MP सरकार की आजीविका मिशन ने महिलाओं को आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित किया

उल्लेखनीय है मध्य प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे आजीविका मिशन ने महिलाओं को आत्मनिर्भर होने के प्रेरित किया. जिला प्रशासन के प्रयासों से अनुसूचित जाति विभाग ने समूहों को करीब 57 लाख रुपए मुहैया करवाए. इनमें से 8.5 लाख रुपए मशीन और शेष रकम फैक्टरी संचालन के लिए आवश्यक कच्चा माल और अन्य खर्च के लिए दिए गए थे.

महिला समूहों की सफलता की पड़ताल के लिए रामपुर भूण्डवास गांव पहुंची NDTV

आत्मनिर्भर भारत अभियान की ओर बढ़ रही महिला समूहों की सफलता की पड़ताल के लिए एनडीटीवी की टीम रामपुर भूण्डवास गांव पहुंची तो यहां महिलाओं के जोश की अलग ही तस्वीर देखने को मिली. एक घर के अंदर करीब आधा दर्जन महिलाएं चूड़ी बनाने की एक छोटी यूनिट में चूड़ी को अंतिम आकार देती दिखी. 

ग्रामीण महिला और डिटर्जेंट कंपनी बॉस वीरम से बात करती एनडीटीवी की टीम

ग्रामीण महिला और डिटर्जेंट कंपनी बॉस वीरम से बात करती एनडीटीवी की टीम

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फैक्ट्री में बनने वाले उत्पादों को बड़े शहरों के उत्पादों से कहीं बेहतर और सस्ता होने का दावा कर रही वीरम ने बताया कि वह नकद और डिजिटल भुगतान के साथ व्हाट्सएप से ऑर्डर भी लेती है. उन्होंने बताया कि अब वो खुदरा बाजार के साथ ठोक माल भी सप्लाई करने लगी है.

एक लाख रुपए के लोन से की यूनिट की शुरूआत, वीरम का टर्न ओवर हुआ दोगुना

रामपुर भूण्डवास गांव में टीम आगे बढ़ी तो देखा कुछ महिलाएं एक घर के कमरे में डिटर्जेंट, शैंपू और फिनायल बनाने वाली फैक्टरी चलाती दिखीं. फैक्ट्री की बॉस वीरम चौहान की बेबाकी और मार्केटिंग का हुनर किसी मॉडल से कम नहीं था. एक लाख रुपए के सरकारी लोन से साबून यूनिट की शुरूआत करने वाली वीरम का टर्न ओवर दोगुना हो गया है.

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