Indian Railways: उड़ीसा उच्च न्यायालय (Odisha High Court) ने रेलवे ट्रैक को अवैध तरीके से पार करने (Railway Track Trespassing) के मामले में पर चिंता व्यक्त की, क्योंकि हर साल अधिकांश मौतें रेलवे ट्रैक (Rail Track Crossing Death) पार करते समय होती हैं. मंगलवार को एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा, 'रेलवे की पटरियां सुरक्षित तरीके से रेलगाड़ियों के गुजरने के लिए बनाई गई हैं, पैदल यात्रियों के लिए नहीं. जो व्यक्ति रेल की पटरियों को पार करना चुनते हैं, वे अवैध रूप से संभावित दुर्घटनाओं का जोखिम उठाते हैं और वे अपने कार्यों के परिणामों के लिए रेलवे को दोष नहीं दे सकते हैं.' बता दें कि न्यायाधीश ने व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर जोर देते हुए मुआवजे की याचिका खारिज कर दी.
पिछले 10 सालों की याचिकाओं को किया खारिज (Rail Accident Compensation Petition Cancelled)
उड़ीसा हाई कोर्ट ने 2012 से 2023 के बीच रेलवे पटरियों पर हुई मौतों से संबंधित 19 याचिकाओं को खारिज करते हुए मुआवजा ना देने की बात कही. बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने अदालत से रेलवे अधिकारियों को अप्राकृतिक मौतों के लिए मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग की थी.
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न्यायमूर्ति एसके पाणिग्रही ने कहा, 'रेलवे दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों और विनियमों को लागू करता है, लेकिन अंततः रेलवे पटरियों को अवैध तरीके से पार करने वाले व्यक्ति अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं जिम्मेदार होते हैं.' न्यायालय की चिंता को पुष्ट करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय रेलवे भी इस मुद्दे से जूझ रहा है.
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