Gautam Adani in Mahakumbh 2025: प्रयागराज की (Prayagraj) पुण्य भूमि पर स्थित आदिशंकर विमान मंडपम (AadiShankar Viman Mandapam) मंदिर एक ऐतिहासिक पल का साक्षी बन रहा है. मंदिर की आभा ऐसी है कि वह श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच ही लेती है. इसी आभा के आकर्षण में स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Aadityanath) कुछ समय पूर्व मंदिर में विग्रहों के दर्शनों के लिए आ चुके हैं. वहीं, देश के शीर्ष उद्योगपति गौतम अदाणी (Gautam Adani) भी अपने परिवार सहित मंगलवार को यहां पहुंचे थे. गौतम अदाणी के यहां आने के बाद एक बार फिर पूरे देश में आदि शंकर विमान मंडपम को लेकर श्रद्धालुओं में काफी रुचि देखी जा रही है.
गौतम अदाणी का हुआ भव्य स्वागत
प्रयागपुत्र के नाम से विख्यात राकेश शुक्ला ने बताया कि आदि शंकर विमान मंडपम कुंभ क्षेत्र में भारतीय दर्शन और सांस्कृतिक चेतना का प्रमुख केंद्र है. मंगलवार को प्रमुख उद्योगपति गौतम अदाणी ने यहां पूजा-अर्चना की. मंदिर के मुख्य द्वार पर पूज्य स्वामी काशी मनी जी के मार्गदर्शन में 51 वैदिक ब्राह्मणों ने स्वस्ति वाचन के साथ उनका भव्य स्वागत किया. मंदिर प्रांगण में स्थित गीता प्रेस द्वारा निर्मित आरती संग्रह पगोडा पर उन्होंने श्रद्धालुओं के साथ संवाद किया.
क्यों खास है आदिशंकर विमान मंडपम
कांचिकामकोटि के 69वें पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने अपने गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की इच्छापूर्ति के लिए श्री आदिशंकर विमान मंडपम का निर्माण कराया था. गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने 1934 में प्रयाग में चातुर्मास किया था. उन दिनों वो दारागंज के आश्रम में ठहरे थे और हर दिन पैदल संगम स्नान को आते थे. उस दौरान बांध के पास उन्हें दो पीपल के पेड़ों के बीच खाली स्थान नजर आया. गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया और स्वयं के तपोबल से यह साबित किया कि इसी स्थान पर आदि शंकराचार्य और कुमारिल भट्ट के बीच संवाद हुआ था.
साल 1970 में रखी गई थी नींव
श्री आदिशंकर विमान मंडपम की नींव वर्ष 1969 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल बी. गोपाल रेड्डी ने रखी थी. उस समय इंजीनियर बी. सोमो सुंदरम और सीएस. रामचंद्र ने मंदिर का नक्शा तैयार किया था. मंदिर प्रबंधन के साथ उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम ने भी निर्माण में सहयोग दिया था. जिन 16 पिलर्स पर मंदिर टिका है, उनका निर्माण उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के तत्कालीन असिस्टेंट इंजीनियर कृष्ण मुरारी दुबे की देख-रेख में कराया गया था. 17 मार्च 1986 को मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया.
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130 फीट है मंदिर की कुल ऊंचाई
संगम नगरी का ये खास मंदिर 130 फीट की ऊंचाई पर है. देवी कामाक्षी और 51 शक्तिपीठ के अलावा तिरुपति बालाजी और सहस्र योग लिंग के साथ 108 शिवलिंग मंदिर में स्थापित हैं. इसमें गणेश जी का मंदिर भी है. मंदिर सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम 4 से रात्रि 8 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है.
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