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चिंताजनक: 797 में से 75 महिलाएं जीतीं, फट गया नारी वंदन का ढोल... पिछला प्रदर्शन भी नहीं दोहरा पायीं नारियां

Election Results: सबसे अच्छा नारी सम्मान बंगाल में देखने को मिला पश्चिम बंगाल की 12 सीटों पर तृणमूल ने महिला प्रत्याशियों को मौका दिया था, इनमें से 11 सीटों पर जीत मिली है.

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चिंताजनक: 797 में से 75 महिलाएं जीतीं, फट गया नारी वंदन का ढोल... पिछला प्रदर्शन भी नहीं दोहरा पायीं नारियां

Lok Sabha Election 2024 Results: कुछ महीने पहले की ही बात है. 2023 में दिल्ली में संसद का विशेष सत्र (Parliament Special Session) बुलाकर देश के दिग्गज नेताओं ने दोनों सदनों (Lok Sabha and Rajya Sabha) में महिलाओं को राजनीति के क्षेत्र में सशक्त बनाने लिए महिला आरक्षण विधेयक (Women's Reservation Bill) पास किया था. देश के नीति निर्माता इसे ऐतिहासिक कदम बता रहे थे, वहीं दूसरी ओर लोकसभा चुनाव के नतीजे इसका माखौल उड़ा रहे हैं. केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा था कि 19 सितम्बर 2023 का दिन भारतीय संसद के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा क्योंकि इस दिन गणेश चतुर्थी के अवसर पर नई संसद में पहली बार कामकाज हुआ और वर्षों से लंबित महिलाओं को आरक्षण का अधिकार देने वाला बिल सदन में पेश हुआ. इस अधिनियम को लेकर खूब शोर मचाया गया, जकमर ढोल पीटा गया, लेकिन अब परिणाम देखने पर यह ढोल फटा हुआ प्रतीत हो रहा है. क्योंकि देश के 8 राज्यों से एक भी महिला सांसद नहीं चुनी गई हैं. आइए पूरी रिपोर्ट पर एक नजर डालते हैं.

797 में करीब 75 महिलाएं पहुंची संसद

इस बार के लोकसभा चुनाव में 797 महिला प्रत्याशियों में से लगभग 75 महिलाएं चुनाव जीतीं हैं. लेकिन चिंताजनक बात यह है कि देश के 8 राज्यों से एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पायी है. केरल, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणीपुर, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम और सिक्किम ने एक महिला उम्मीदवार का नारी वंदन नहीं हुआ है. 

सबसे अच्छा नारी सम्मान बंगाल में देखने को मिला पश्चिम बंगाल की 12 सीटों पर तृणमूल ने महिला प्रत्याशियों को मौका दिया था, इनमें से 11 सीटों पर जीत मिली है.

PM ने कहा था बादी को बहुत बड़ी ताकत मिली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम के रूप में देश की आधी आबादी को बहुत बड़ी ताकत मिली है। 30 वर्षों से महिला आरक्षण बिल का विषय लंबित था वह अब रिकॉर्ड वोटों के साथ दोनों सदनों से पास हुआ है.

1962 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ 74 महिलाएं चुनाव लड़ी थीं, जिनमें से 48.64% को जीत मिली थी. वहीं अब 797 महिला कैंडिडेट थीं, लेकिन जीत प्रतिशत 9.41% रह गया है यानी 10 में से एक महिला उम्मीदवार चुनाव जीत रही है. इस चुनान में पहला ऐसा मौका था, जब सबसे ज्यादा 797 महिला प्रत्याशी मैदान पर थीं. 

17वीं लोकसभा (2019-2024) के कुल सदस्यों में से लगभग 15% महिलाएं थीं, जबकि राज्य विधानसभाओं में कुल सदस्यों में औसतन 9% महिलाएं थी.

2014 में जहां 62 महिला सांसद संसद पहुंची थी वहीं 2019 में इनकी संख्या 78 हो गई है. 2019 में कुल पुरूष उम्मीदवार 7334 थे तो महिला उम्मीदवारों की संख्या 715 थी.

MP की ये महिलाएं बनी सांसद

धार से सावित्री ठाकुर ने चुनाव जीता, बालाघाट से पहली महिला सांसद भारती पारधी बनीं है. रतलाम से अनिता नागर सिंह चौहान ने जीत हासिल की है. सागर सीट को 44 साल बाद महिला सांसद मिली है, इस बार लता वानखेड़े ने जीत दर्ज की है. शहडोल से हिमाद्री सिंह ने कांग्रेस के फुंदेलाल सिंह मार्को को 3 लाख 97 हजार 340 वोट से हराया. भिंड से संध्या राय ने परचम लहराया है. ये सभी उम्मीदवार बीजेपी की ओर से मैदान में थीं.

लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में आधी आबादी की पूरी ताकत देखने को मिली. MP की 29 सीटों में से 6 पर महिला उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. निर्वाचित होने वाली सभी महिलाएं भारतीय जनता पार्टी की हैं. प्रदेश में लगभग डेढ़ दशक बाद यह अवसर आया है जब 29 में से 6 महिलाएं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई हैं.

राज्य में हुए इससे पहले के चुनावों पर गौर करें तो वर्ष 2009 में भी छह महिला सांसद लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं. इनमें दो कांग्रेस की और चार भारतीय जनता पार्टी की थीं. इसके अलावा वर्ष 2004 के चुनाव में दो और 2014 के चुनाव में पांच महिलाएं जीती थीं. इसी तरह वर्ष 2019 के चुनाव में चार महिला सांसद थीं. वर्ष 2024 के चुनाव में भाजपा ने शहडोल से हिमाद्री सिंह और भिंड से संध्या राय को दोबारा मौका दिया. वहीं, चार नए महिला चेहरों को मैदान में उतारा। सभी छह सीटों पर परिणाम भाजपा के पक्ष में आए हैं. राज्य से निर्वाचित कई महिलाओं की राष्ट्रीय स्तर पर हनक रही है. इंदौर से लगातार आठ बार निर्वाचित होने वाली सुमित्रा महाजन लोकसभा की अध्यक्ष बनीं. वहीं, उमा भारती को अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में स्थान मिला था। इसके अलावा प्रज्ञा ठाकुर भोपाल का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं.

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