
Bilkis Bano Case 2002: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में कहा कि गुजरात सरकार (Gujarat Government) के पास इन लोगों को रिहा करने का अधिकार नहीं है. यह फैसला सिर्फ महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ही कर सकती है.
2002 सांप्रदायिक दंगे के बहुचर्चित बिलकिस बानो रेप केस के 11 आरोपियों की रिहाई के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि गुजरात सरकार के पास इन लोगों को रिहा करने का अधिकार नहीं है. दरअसल, गुजरात सरकार ने विधानसभा चुनाव 2022 के ठीक पहले बिलकिस बानो रेप केस के 11 आरोपियों को रिहा कर दिया था.
इसलिए रिहाई पर लगी रोक
गुजरात सरकार के इस फैसले की देश से ले कर विदेशों तक में कड़ी आलोचना हुई थी. इस फैसले से पीड़ित परिवार, नागरिक समाज, कार्यकर्ताओं और विपक्षी राजनेताओं ने निंदा कड़ी करते हुए गुजरात सरकार के फैसले पर सवाल उठाए थे. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार की ओर से दोषियों की सजा में दी गई छूट के आदेश में योग्यता का अभाव है. यानी गुजरात सरकार के बाद यह आदेश जारी करने का हक ही नहीं है. अदालत ने कहा कि अपराधियों को केवल वही राज्य रिहा कर सकता है, जहां उन पर मुकदमा चलाया जाता है. अदालत ने कहा कि इस तरह के किसी भी फैसले को हक सिर्फ और सिर्फ महाराष्ट्र सरकार के पास है.
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कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को भी किया रद्द
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी (सेवानिवृत्त) की ओर से दिए गए उस फैसले की भी कड़ी आलोचना की, जिसने दोषियों को गुजरात सरकार के सामने अपनी शीघ्र रिहाई के लिए अपील करने की अनुमति दी गई थी. ताजा फैसले में न्यायाधीशों ने उस आदेश को रद्द करते हुए कहा कि दोषियों को 2022 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश "कपटपूर्ण तरीकों से" मिला था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि गुजरात सरकार को इस आधार पर 2022 के आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर करनी चाहिए थी कि वे दोषियों को छूट देने के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं है, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.
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