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शंभू बॉर्डर: दिल्ली मार्च कर रहे किसानों पर फिर छोड़े गए आंसू गैस के गोले, 10 पॉइंट्स में समझिए पूरी कहानी

Kisan Andolan: किसान एमएसपी मुद्दे के अलावा, ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं और 2020-21 के विरोध प्रदर्शन के दौरान दर्ज किए गए पुलिस के मामलों को वापस लेना भी चाहते हैं. वे सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना और 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को 10,000 रुपये की मासिक पेंशन भी चाहते हैं. वे यह भी चाहते हैं कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर लखीमपुर खीरी घटना के संबंध में मुकदमा चलाया जाए.

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शंभू बॉर्डर: दिल्ली मार्च कर रहे किसानों पर फिर छोड़े गए आंसू गैस के गोले, 10 पॉइंट्स में समझिए पूरी कहानी
Kisan Andola News:

Delhi Farmer Protest: देश के अन्नदाता एक फिर अपनी मांगों को लेकर आक्रोशित हैं. पिछले कुछ दिनों से 'दिल्ली चलो' मार्च (Delhi Chalo March) को लेकर किसान अपना विरोध (Farmers Protest) प्रदर्शित कर रहे हैं. इस किसान आंदोलन के दौरान आज सुबह पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर (Punjab-Haryana Border) पर किसानों पर फिर से आंसू गैस के गोले दागे गए हैं. एमएसपी के बारे में सरकार की पेशकश को अस्वीकार करने के बाद यहां पर हजारों किसान दिल्ली में मार्च करने के लिए एकत्र हुए हैं. वहीं केन्द्रीय जनजातीय कार्य और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ( Agriculture and Farmer Welfare Minister) अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) ने ओर से कहा गया है कि सरकार चौथे दौर के बाद के पांचवें दौर में सभी मुद्दे जैसे कि MSP की मांग, फसल विविधीकरण, पराली का विषय, FIR पर बातचीत के लिए तैयारी है.

इन 10 पॉइंट्स में समझिए पूरी कहानी

1. आज एक बार फिर से हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर मौजूद किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. किसानों पर ये आंसू गैस के गोले ड्रोन के जरिए दागे गए हैं.  पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले दागने के बाद वहां भगदड़ मच गई.

किसान समूहों ने शंभू बॉर्डर क्रॉसिंग पर एक मानव श्रृंखला बनाई है. एक तरफ जेसीबी जैसी भारी मशीनें और किसानों के ट्रैक्टरों की सेना है जबकि दूसरी तरफ हरियाणा पुलिस और अर्धसैनिक बलों सहित सुरक्षा बल है.

2. किसानों के द्वारा दिल्ली चलो मार्च शुरू करने से पहले उन्हें तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस पहले ही एक राउंड आंसू गैस छोड़ चुकी है. पिछले सप्ताह दो बार आंसू गैस के गोले और पानी की बौछारें भी छोड़ी गईं, जिनमें झड़पें भी हुईं थीं. तब किसानों ने बैरिकेड्स व फ्लाईओवर पर धावा बोल दिया था.

3. हरियाणा पुलिस ने किसानों को दिल्ली तक पहुंचने से रोकने के लिए शंभू से लगभग 200 किमी दूर से ही सुरक्षा के उपाय बढ़ा दिए हैं. पुलिस ने ट्रैक्टरों को रोकने के लिए कंक्रीट की बैरिकेटिंग, कंटीले तारों की बाड़ और यहां तक ​​कि कीलें बिछा दी हैं और हाइवे को रोक दिया है.

4. वहीं किसान निडर दिखाई दे रहे हैं. वे कुछ नया कर रहे हैं, जैसे कि उन्होंने मंगलवार शाम को एक अस्थायी 'टैंक' बनाया. इसके लिए उन्हों एक ट्रैक्टर पर जेसीबी मशीन चढ़ाई जिसमें ड्राइवर या ऑपरेटर के केबिन को आंसू गैस के गोले और रबर छर्रों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए लोहे की चादरों से ढक दिया गया था.

5. दिल्ली के आसपास भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है और गाज़ीपुर, टिकरी, नोएडा और सिंघू सहित प्रमुख बॉर्डर क्रॉसिंगों को मेटल और सीमेंट के बैरिकेट्स की कतारों से अवरुद्ध कर दिया गया है. 

दिल्ली पुलिस ने एलआरएडी, या लंबी दूरी के ध्वनिक उपकरण तैनात किए हैं और धारा 144 के तहत सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध भी लगाया है.

6. इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा है कि, "सरकार चौथे दौर के बाद के पांचवें दौर में सभी मुद्दे जैसे कि MSP की मांग, फसल विविधीकरण, पराली का विषय, FIR पर बातचीत के लिए तैयारी है. मैं किसान नेताओं को चर्चा के लिए आमंत्रित करता हूं. हमें शांति बनाए रखना जरूरी है."

 केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, "चौथे दौर तक की बातचीत होने के बाद किसान संगठनों की ओर से जो प्रतिक्रिया आई उसे संज्ञान में लेते हुए हम पांचवे दौर की बैठक और MSP की मांग, फसल विविधीकरण, पराली का विषय जैसे मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार हैं...मेरी अपील है कि वे शांति बनाएं रखें और हमारी कोशिश है कि वार्ता से समाधान निकले."

7. सोमवार शाम को किसान नेताओं ने मक्का, कपास और तीन प्रकार (तुअर, उड़द और मसूर) की दालों को पुराने एमएसपी पर खरीदने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि यह केवल कुछ ही फसलों पर लागू होता है और अन्य 18 फसलों को उगाने वालों को नजरअंदाज कर दिया जाता है.

8. किसानों ने कहा कि कीमत - A2+FL+50 प्रतिशत फॉर्मूला पर आधारित है, न कि स्वामीनाथन आयोग के C2+50 प्रतिशत फॉर्मूले पर. यह "निर्वाह" भुगतान होगा न कि "इनकम" का.

9. किसान उस क्लॉज से भी नाखुश थे जिसमें कहा गया था कि एमएसपी केवल फसल विविधीकरण का विकल्प चुनने वालों के लिए होगी. 

10. किसान एमएसपी मुद्दे के अलावा, ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं और 2020-21 के विरोध प्रदर्शन के दौरान दर्ज किए गए पुलिस के मामलों को वापस लेना भी चाहते हैं. वे सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना और 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को 10,000 रुपये की मासिक पेंशन भी चाहते हैं. वे यह भी चाहते हैं कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर लखीमपुर खीरी घटना के संबंध में मुकदमा चलाया जाए.

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