
Archana Tiwari missing case: अर्चना तिवारी की कहानी सुपर हिट फिल्म 'लापता लेडीज' जैसी है...फिल्म की हिरोइन की तरह ही अर्चना भी पढ़ना चाहती थी...कामयाबी के खुले आसमान में उड़ना चाहती थी...पर परिवार वाले उसके पैरों में शादी का बंधन बांधने पर आमादा थे. अर्चना को लगा जैसे उसके पढ़ाई के सपने वक्त से पहले मर जाएंगे तो वो खुद ही अपने अपहरण की मास्टरमाइंड बन बैठी...इस रिपोर्ट में आप पढ़िए अर्चना की गुमशुदगी की पूरी कहानी रेल SP राहुल कुमार लोढ़ा की जुबानी...
रेल SP राहुल कुमार लोढ़ा के मुताबिक, अर्चना के परिजन उसपर लगातार शादी का दबाव बना रहे थे, जिसके कारण अर्चना और परिजनों के बीच विवाद बढ़ गया. हालांकि इस बीच परिवार वालों ने अर्चना का रिश्ता एक पटवारी के साथ तय कर दिया. तब अर्चना को लगा कि अब पानी सिर से ऊपर चला गया है तो उसने एक ऐसा प्लान तैयार किया जिससे कि वो पढ़ भी सके और परिवार वालों से दूर भी रह सके. इसी के तहत उसने शुजालपुर में रहने वाले अपने दोस्त सारांश के साथ मिलकर ऐसी साजिश रची जिसके चक्कर में मध्यप्रदेश की पुलिस पूरे 13 दिनों तक चकरधिन्नी की तरह नाचती रही.
बता दें कि घर वालों ने अर्चना पर पढ़ाई छोड़कर शादी का दबाव बनाया. इस दौरान परिवार वालों से काफी विवाद भी बढ़ा. इधर, शुजालपुर के रहने वाले सारांश से अर्चना की इंदौर में दोस्ती हुई और वो भी उसी ट्रेन में सफर कर रहा था, जिसमें अर्चना थी. इंदौर से कटनी जाने के दौरान अर्चना ने सारांश से हरदा में ढाबे पर बैठकर बात की और भागने की प्लानिंग बनाई, लेकिन फिर भागने की प्लानिंग कैंसल कर दी और खुद की गुमशुदगी की साजिश रच डाली. अर्चना को लगा कि उसकी गुमशुगदी पर कोई ध्यान नहीं देगी. इसके बाद इस अपहरण की प्लानिंग में तेजन्दर नामक व्यक्ति की एंट्री हुई. तेजन्दर और सारांश इंदौर में आमने सामने रहते थे और दोनों के साथ पैसा का लेन देन था. उसने ही अर्चना तिवारी को इटारसी स्टेशन पर कैमरा न होने की जानकारी दी.
इतना ही नहीं तेजन्दर ने नर्मदापुरम में ट्रेन में अर्चना को कपड़े दिए, जिसके बाद अर्चना लापता लेडीज की तरह ट्रेन से भाग निकली. बता दें कि अर्चना तिवारी मध्य प्रदेश नहीं छोड़ती, लेकिन मीडिया में हाइप बनने के कारण वो दूसरे राज्य में जाने की प्लानिंग की. इसके बाद अर्चना और सारांश पहले हैदराबाद गए और फिर नेपाल जाने की प्लानिंग की. दोनों बस के माध्यम से जोधपुर से दिल्ली होते हुए काठमांडू चली गई. हालांकि सारांश वापस इंदौर लौट आया.
बता दें कि तेजन्दर की गिरफ्तारी के बाद GRP को अर्चना अपहरण केस में अहम सुराग हाथ लगे. जिसके बाद GRP की टीम अर्चना तिवारी तक पहुंच गई.
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