भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) और प्रज्ञान रोवर से एक बार फिर से कम्युनिकेशन स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. दरअसल, इसरो (ISRO) ने 2 सितंबर को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बताया था कि प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) ने चंद्रमा पर अपना सारा काम पूरा कर लिया है और अब उसे सुरक्षित रूप से उसके स्थान पर पार्क कर दिया गया है. जिसके बाद उसे स्लीप मोड में सेट कर दिया गया था.
इसरो ने 22 सितंबर को रोवर और लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश की थी लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. इसरो के अनुसार 22 सितंबर को चांद पर सूर्योदय की उम्मीद थी, जिसके कारण रोवर और लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश की गई. इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) के माध्यम से बताया कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ संचार स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं ताकि उनकी जागने की स्थिति का पता लगाया जा सके. फिलहाल उनकी ओर से कोई संकेत नहीं मिले हैं, संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी रहेंगे.
यह भी पढ़ें : कृपया शस्त्र लाइसेंस के लिए संपर्क न करें... चुनाव आते ही ग्वालियर-चंबल में बढ़ी हथियारों की डिमांड
चंद्र रात के लिए दोनों को स्लीप मोड में रखा गया था
इसरो के अनुसार चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर मॉड्यूल को चंद्र रात के लिए स्लीप मोड में रखा गया था. चांद पर रात पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर होती है. इसरो ने 2 सितंबर को बताया था कि APXS और LIBS पेलोड बंद हैं. इन पेलोड से डेटा लैंडर के माध्यम से पृथ्वी पर भेजा जाता है. फिलहाल, बैटरी पूरी तरह चार्ज है. सौर पैनल 22 सितंबर 2023 को अपेक्षित अगले सूर्योदय पर प्रकाश प्राप्त करने के लिए तैयार है और रिसीवर को चालू रखा गया है. वहीं विक्रम लैंडर को भी अपने मिशन के उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद बंद कर दिया गया था.
अगर चंद्रयान-3 के रोवर, लैंडर नहीं उठे तो क्या होगा?
लैंडर और रोवर को सुलाते समय इसरो ने कहा था कि अगर ये दोनों नहीं जागे तो ये भारत के चंद्र राजदूत के रूप में हमेशा के लिए वहीं रहेंगे. उस समय इसरो ने असाइनमेंट के दूसरे सेट के लिए सफल जागृति की आशा जताई थी. वहीं विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि रोवर और लैंडर चीन के चंद्र लैंडर चांग ई - 4 और रोवर युतु - 2 की तरह सुबह जाग सकते हैं. जिन्होंने 2019 में अपनी पहली चंद्र रात से बचने के बाद फिर से काम करना शुरू कर दिया था.
यह भी पढ़ें : मांगें पूरी नहीं हुईं तो मेरा कुर्ता पकड़कर खींच लेना... इंदौर में बेरोजगारों से कमलनाथ का वादा
विशेषज्ञों ने क्या कहा?
इसरो के पूर्व अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने बीबीसी को बताया कि यह जरूरी नहीं है कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर जाग जाएं. क्योंकि चंद्रमा पर रात के दौरान तापमान माइनस 200 से 250 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और बैटरी को इसके लिए डिजाइन नहीं किया गया है. वहीं इसरो के पूर्व वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को मूल रूप से केवल 14 दिनों तक संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया था. उन्होंने कहा कि अगर यह एक चंद्र रात तक जीवित रहता है, तो मुझे यकीन है कि यह कई और चंद्र रातों तक जीवित रहेगा और यह संभवतः 6 महीने से एक वर्ष तक काम कर सकता है.