
भारत बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर नया इतिहास रच देगा. यही वो वो क्त होगा जब इसरो द्वारा भेजा गया चंद्रयान 3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास प्रज्ञान रोवर के साथ विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग करेगा. अच्छी बात ये है कि एक दिन पहले यानि मंगलवार को चंद्रयान 3 ने चंद्रमा की 70 किमी दूर से ली गई तस्वीरें साझा की. ये तस्वीरें बुधवार को होने वाले बहुप्रतीक्षित टचडाउन के दौरान लैंडर का मार्गदर्शन करने वाले कैमरे से ली गई थीं. जो तस्वीरें साझा की गई हैं उसमें चंद्रमा का सुदूर हिस्से के क्रेटर दिखाई दे रहे हैं. .अहम ये है कि ISRO ने ट्वीट करके ये भी बताया है कि चंद्रयान 3 मिशन तय समय पर है. सिस्टम की नियमित जांच हो रही है. सुचारु रूप से उड़ान जारी है.
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 22, 2023
The mission is on schedule.
Systems are undergoing regular checks.
Smooth sailing is continuing.
The Mission Operations Complex (MOX) is buzzed with energy & excitement!
The live telecast of the landing operations at MOX/ISTRAC begins at 17:20 Hrs. IST… pic.twitter.com/Ucfg9HAvrY
धड़कने रोक देने वाला है आखिरी 20 मिनट
ISRO के वैज्ञानिकों ने साफ किया है लैंडिग के पहले के 20 मिनट सबसे ज्यादा अहम है. यही वो 20 मिनट का वक्त है जिसमें हमारा चंद्रयान-2 डगमगा गया था. ISRO के वेज्ञानिकों की ओर से इस बार इसके लिए खास तैयारी की गई है. बता दें कि इसरो के सबसे शक्तिशाली रॉकेट ने चंद्रयान-3 को धरती की कक्षा में भेजा था. उसके बाद द्रयान-3 ने धरती के कई चक्कर काटे और बीते 1 अगस्त को चंद्रयान 3 चांद के सफर पर रवाना हो गया. जिसके बाद 3 लाख 84 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर चंद्रयान बीते 5 अगस्त को चांद की कक्षा में दाखिल हुआ. प्रोपल्शन मोड्यूल का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से 17 अगस्त, 2023 को अलग होना अहम क़दम था, जब उपग्रह 153 किलोमीटर गुना 163 किलोमीटर की कक्षा में था. जल्द ही विक्रम लैंडर चांद की सतह के क़रीब एक अंडाकार कक्षा में आता है जिसके बाद उतरने की तैयारी होती है.
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सिर्फ़ दो चालू इंजनों के साथ चांद पर उतरेगा विक्रम लैंडर
विक्रम चार चालू इंजनों के साथ अब अपनी रफ़्तार धीमी करता है और चांद की सतह के साथ लगभग हॉरिज़ॉन्टल है, इसे रफ़ ब्रेकिंग चरण कहते हैं, जो लगभग 11 मिनट चलता है. फिर वो चांद की सतह पर सिर्फ़ दो चालू इंजनों के साथ उतरेगा, पायों को इतना मज़बूत बनाया गया है कि वो 3 मीटर/सेकंड या 10.8 किलोमीटर/घंटे के टकराव को झेल सकें.पायों पर लगे सेंसर्स को चांद की सतह महसूस होते ही इंजन बंद हो जाएंगे और टेरर के 20 मिनट निकल जाएंगे. तिरंगा चांद पर पहुंच जाएगा.इसके बाद रैम्प खुलेगा और प्रज्ञान रोवर आहिस्ता-आहिस्ता नीचे लाया जाएगा. प्रज्ञान रोवर जब चांद की सतह पर पहुंच जाएगा तब रोवर चांद पर घूमने के लिए आज़ाद हो जाएगा.