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पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह, नरसिंम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन को मिलेगा भारत रत्न, PM मोदी ने दी जानकारी

Bharat Ratna: कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी के बाद अब पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भी भारत देने का ऐलान किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी.

पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह, नरसिंम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन को मिलेगा भारत रत्न, PM मोदी ने दी जानकारी

Bharat Ratna: देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स दी. उन्होंने लिखा, "हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है. यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है. उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था."

पीएम मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, चौधरी चरण सिंह ने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की. वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे. हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है.

पूर्व पीएम नरसिम्हा राव को भी भारत रत्न

पीएम मोदी ने एक अन्य ट्वीट में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भी भारत रत्न दिए जाने की जानकारी दी. उन्होंने कहा, "यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में, नरसिम्हा राव ने विभिन्न क्षमताओं में भारत की बड़े पैमाने पर सेवा की. उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है. उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था."

पीएम मोदी ने कहा, "प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव का कार्यकाल महत्वपूर्ण उपायों द्वारा चिह्नित किया गया था. जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला. इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है, जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को आगे बढ़ाया बल्कि इसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया."

एमएस स्वामीनाथन को भी मिलेगा भारत रत्न

पीएम मोदी ने हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान करते हुए कहा, "यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है. उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए. हम एक अन्वेषक और संरक्षक के रूप में और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाले उनके अमूल्य काम को भी पहचानते हैं. डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है. वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था."

कौन थे चौधरी चरण सिंह?

चौधरी चरण सिंह एक किसान राजनेता और देश के पांचवें प्रधानमंत्री थे. चौधरी चरण सिंह ने अपना पूरा जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया है. चरण सिंह का जन्म एक जाट परिवार में हुआ था. स्वाधीनता के समय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. इस दौरान उन्होंने बरेली की जेल से दो किताब भी लिखी. स्वतंत्रता के बाद वे ग्रामीण सुधार आन्दोलन में लग गए. पामुलापति वेंकट नरसिंह राव भारत के 9वें प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए थे. वे आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. 

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हरित क्रान्ति के जनक हैं डॉ स्वामीनाथन

एम स्वामी नाथन को भारत की हरित क्रांति का जनक माना जाता है. वे भारत के आनुवांशिक वैज्ञानिक थे. उन्होंने साल 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए थे. उन्हें विज्ञान और अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार ने साल 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. 'हरित क्रांति' कार्यक्रम के तहत ज़्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज ग़रीब किसानों के खेतों में लगाए गए थे. इस क्रांति ने भारत को दुनिया में खाद्यान्न की सर्वाधिक कमी वाले देश के कलंक से उबारकर 25 साल से कम समय में आत्मनिर्भर बना दिया था. उन्हें मैग्सेसे पुरस्कार, अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंस पुरस्कार, पहला 'विश्व खाद्य पुरस्कार, टाइलर पुरस्कार, होंडा पुरस्कार, ऑर्डर दु मेरिट एग्रीकोल, यूनेस्को गांधी स्वर्ग पदक से सम्मानित किया गया है. 

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