Piyush Mishra Birthday Special : बॉलीवुड एक्टर पीयूष मिश्रा (Piyush Mishra) का 13 फरवरी को जन्मदिन है. वो आज 61 साल के हो गए हैं. पीयूष ने अपने गीतों और कविताओं के अलावा एक्टिंग से फिल्मी जगत में एक अलग ही पहचान बनाई है. आज हम पीयूष के जीवन से जुड़ी कई बातों पर चर्चा करेंगे.
ग्वालियर में हुआ था जन्म
बॉलीवुड एक्टर पीयूष मिश्रा का जन्म 13 फरवरी 1963 को ग्वालियर (Gwalior) में हुआ था. वह एक ब्राह्मण परिवार से बिलॉन्ग करते हैं. उनके पिता प्रताप कुमार शर्मा (Pratap Kumar Sharma) अपर डिवीजन रैंक के क्लर्क थे. पीयूष की बुआ तारा देवी के यहां कोई संतान नहीं थी, इसलिए पीयूष को उनकी बुआ ने गोद ले लिया था.
इसीलिए लिया एनएसडी में एडमिशन ?
पीयूष का बचपन हर उस चीज से गुजरा है जो उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं है. ऐसे में उन्होंने ग्वालियर छोड़ने का फैसला कर लिया था. एक रिपोर्ट के अनुसार पीयूष ने एनएसडी में एडमिशन इसलिए लिया था ताकि वह ग्वालियर से दूर जा सकें. यहां पढ़ाई के दौरान उन्हें एक जर्मन प्ले हेलमेट में काम करने का मौका मिला. जहां उन्होने एक्टिंग की बारीकियां सीखी थी. फिल्मी करियर की बात करें तो पीयूष ने 1998 में आयी फिल्म दिल से (Dil Se) से अपने एक्टिंग की शुरुआत की थी. इस फिल्म में उन्होंने अफसर का रोल किया था. हालांकि फिल्म में उनको ज्यादा नोटिस नहीं किया गया था.
जब अदालत में लगाई नाम बदलने की अर्जी
एक रिपोर्ट के अनुसार पीयूष का नाम उनकी फैमिली ने प्रियाकांत शर्मा (Priyakanth Sharma) रखा था. कहा जाता है कि उनकी बुआ तारा देवी से उनके संबंध अच्छे नहीं थे. इसलिए वह अपना नाम बदलवाना चाहते थे. सिर्फ दसवीं क्लास में उन्होंने अपना नाम बदलने के लिए डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एफिडेबिट दे दिया था. जिसके बाद अदालत ने उनकी मर्जी से उनका नाम प्रियाकांत से पीयूष रख दिया.
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जब राजकुमार बड़जात्या के बुलाने पर भी नहीं पहुंचे
एक रिपोर्ट के अनुसार पीयूष ने एक इंटरव्यू में बताया था कि,"मैं उस वक्त एनएसडी में था. एक दिन डायरेक्टर मोहन महर्षि (Mohan Maharishi) ने मुझे अपने चेंबर में बुलाया. वहां एक आदमी बैठे थे. मोहन जी ने मुझे बताया कि यह राजकुमार बड़जात्या हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे सूरज बड़जात्या को बतौर डायरेक्टर लॉन्च कर रहे हैं. हीरोइन मिल चुकी है. अब हीरो की तलाश में यहां आए हैं. बड़जात्या साहब मुझे देखकर बहुत खुश हुए. बड़जात्या जी ने मुझे अपना कार्ड देकर कहा कि आप राजकमल कला मंदिर आएं और मुझसे मिलें. लेकिन मैं आज तक यह नहीं समझ पाया कि मैं वहां क्यों नहीं गया".
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