Happy Birthday Laxmikant : हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज संगीतकार लक्ष्मीकांत का जन्म 3 नवंबर 1937 में हुआ था. इनका पूरा नाम लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर (Laxmikant Shantaram Kudalkar) है. जिस दिन उनका जन्म हुआ, उस दिन दिवाली थी. इसलिए उनके पिताजी ने लक्ष्मीकांत नाम रख दिया था. लक्ष्मीकांत ने मुंबई में विले पार्ले की झुग्गियों में अपना जीवन बिताया. लक्ष्मीकांत बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे, उनके जन्मदिन पर उनसे जुड़ी कुछ बातों पर हम नजर दौड़ाएंगे.
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ऐसे शुरू हुआ था सफर
साल 1963 में उनके संगीत से सजी पहली फिल्म पारसमणि (Parasmani) रिलीज हुई थी. हालांकि इससे पहले वह साल 1962 की एक फिल्म में संगीत दे चुके थे. लेकिन वह फिल्म कभी रिलीज नहीं हो पाई. पारसमणि रिलीज हुई और देखते-देखते यह फिल्म सुपरहिट हो गई. इस फिल्म की सफलता में सिर्फ और सिर्फ लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत का हाथ था. वैसे इस फिल्म के गाने बहुत फेमस हुए थे. लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल की जोड़ी ने कई ऐसे गाने गए, जिनको लोग आज भी सुनना पसंद करते हैं.
घर का गुजारा करने के लिए सीखा संगीत
लक्ष्मीकांत बहुत छोटे थे तब ही उनके पिता का निधन हो गया था. घर की आर्थिक हालत काफी खराब थी. इसलिए वह अपनी तालीम भी पूरी नहीं कर पाए थे. उनके पिता के दोस्त संगीतकार थे, तो उन्होंने लक्ष्मीकांत को सलाह दी कि वह और उनके भाई संगीत की तालीम लें. इसके बाद लक्ष्मीकांत ने मंडोलिन बजाना सीखा और उनके भाई ने तबला. नामी मंडोलिन प्लेयर "हुसैन अली" के पास उन्होंने 2 साल बिताएं. इसके बाद लक्ष्मीकांत ने शुरुआत में म्यूजिक कॉन्सर्ट आयोजित करना शुरू किया. ताकि वह कुछ पैसे कमा सकें और गुजर-बसर कर सकें. 1940 के समय में उन्होंने ''बाल मुकुंद इंदोरकर'' से मंडोलिन बजाने की आगे की तालीम ली. इसके साथ उन्होंने हुसनलाल भगतराम फेम ''हसनलाल'' से वायलिन बजाना भी सीखा. संगीत की दुनिया में कदम रखने से पहले उन्होंने फिल्मी जगत में बाल कलाकार के तौर पर भी काम किया.
"जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली" पहली फिल्म जिसके सभी गाने स्टीरियो में रिकॉर्ड हुए
"जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली" साल 1971 की बॉलीवुड की रोमांटिक फिल्म है, जिसका निर्देशन वी.शांताराम (V.Shantaram) ने किया है. जिसमें वत्सला देशमुख के साथ संध्या और अभिजीत अहम रोल में थे. यह पहली भारतीय फिल्म थी, इसके सभी गाने स्टीरियो फोनिक ध्वनि में रिकॉर्ड हुए थे. हालांकि फिल्म में मोनो साउंडट्रैक था. सभी गाने वी. शांताराम के राजकमल कला मंदिर स्टूडियो में मंगेश देसाई के द्वारा रिकॉर्ड और मिक्स किए गए थे और इस फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने दिया था.
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