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'शिवनाथ की पुकार, मुझे बचा लो सरकार…' अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही दुर्ग की जीवनदायिनी Shivnath नदी, प्रशासन की अनदेखी का बनी शिकार

Shivnath River: दुर्ग के लिए जीवनदायिनी माने जाने वाली शिवनाथ नदी की आज हालत बहुत खराब है. दरअसल, इस नदी में घरेलू गंदगी के साथ-साथ दर्जनों उद्योगों से निकलने वाला केमिकलयुक्त पानी मिलाया जा रहा है, जिससे जलीय जीवों का जीवन मुश्किल हो गया है.

'शिवनाथ की पुकार, मुझे बचा लो सरकार…' अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही दुर्ग की जीवनदायिनी Shivnath नदी, प्रशासन की अनदेखी का बनी शिकार
Shivnath river:

Shivnath River Bad Condition: दुर्ग के 4-5 लाख लोगों की प्यास बुझाने वाली जीवनदायिनी शिवनाथ पर अब खतरा मंडरा रहा है. शहर से निकलने वाले नालों को सीधे नदी में मिला दिया गया है, जिनमें घरेलू गंदगी के साथ-साथ दर्जनों उद्योगों से निकलने वाला केमिकलयुक्त पानी भी शामिल है. इस खतरे पर अब तक किसी जवाबदार का नजर ना जाना चिंता का विषय बना हुआ है. वक्त रहते शिवनाथ को बचाया नहीं गया तो स्थिति बदत्तर हो जाएगी. 

शिवनाथ में मिलाया जा रहा 'जहर'

जब हर बूंद की कीमत जान से भी ज्यादा लग रही है, तब शिवनाथ ही एकमात्र सहारा है. यही नदी हर रोज लाखों घरों तक पानी पहुंचाती है, लेकिन… जिस नदी से जिंदगी मिलती है, उसी में जहर मिलाया जा रहा है.

इन नालों के जरिए नदी में ऐसा जहर घोला जा रहा है, जिससे जलीय जीवों का जीवन मुश्किल हो गया है. नदी से उठती दुर्गंध से आस-पास के लोग परेशान हैं. स्थानीय लोगों ने कई बार प्रशासन से इसकी शिकायत की, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. 

Shivnath River

Shivnath के किनारे कचरे, पॉलीथिन का अंबार लगा हुआ है.

शिवनाथ में गिराया जाता है औद्योगिक केमिकलयुक्त दूषित पानी

दुर्ग के झेंझरी गांव में भिलाई शहर से निकलने वाला घरेलू और औद्योगिक केमिकलयुक्त दूषित पानी ‘कोसा नाला' के जरिए सीधे शिवनाथ में मिलता है. ग्रामीणों के अनुसार, शाम होते ही इस नाले में गंदा, जहरीला पानी बहाया जाता है, जिससे पूरी नदी में बदबू फैल जाती है.

ग्रामीणों ने बताया कि कई बार रात के अंधेरे में इंडस्ट्रीज के केमिकल टैंकर से खाली करवाए जाते हैं, जिसके बाद नदी में बड़ी संख्या में मछलियां और अन्य जलीय जीव मरकर तैरने लगते हैं.

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शहर से निकलने वाले नालों को सीधे नदी में मिला दिया गया है.

इस हकीकत को जानने जब एनडीटीवी की टीम पास के समोदा गांव पहुंची. हालांकि यहां के लोग कैमरे के सामने आने से मना कर दिया, लेकिन उन्होंने बताया कि किस तरह रात के समय टैंकर से केमिकल यहां खाली किया जाता है. लोगों ने कहा कि वे मजबूर हैं, क्योंकि उनके परिवार के सदस्य इन्हीं कंपनियों में काम करते हैं. ऐसे में आवाज उठाना उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है.

जब एनडीटीवी की टीम कोटनी गांव पहुंची तो यहां की स्थिति और भी चिंताजनक थी. यहां दुर्ग के शंकर नगर क्षेत्र से निकलने वाला एक बड़ा नाला शिवनाथ में गिरता है. नदी के चारों ओर कचरे और मलबे का अंबार लगा हुआ है. मानो यह नदी नहीं... कचरा डंपिंग यार्ड हो.

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नदी में गंदा और जहरीला पानी बहाया जाता है, जिससे पूरी नदी में बदबू फैल जाती है.

शिवनाथ नदी अपने अस्तित्व के लिए कर रही है संघर्ष

नदी में मिलने वाले ज्यादातर नाले प्रदूषित हैं. नियमों के अनुसार, किसी भी उद्योग से निकलने वाले दूषित पानी को ट्रीटमेंट के बाद ही छोड़ा जाना चाहिए, लेकिन यहां जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आज शिवनाथ नदी, जो लगभग 4-5 लाख लोगों की प्यास बुझाती है, खुद अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है.

शिवनाथ जो कभी शिव की तरह निर्मल और पवित्र मानी जाती थी. आज कचरे, पॉलीथिन और जहर की मार झेल रही है. यहां सफाई के नाम पर सिर्फ लापरवाही, गंदगी और मौत का मंजर दिख रहा है. यहां कई पार्टियों की सरकारें रहीं, लेकिन शिवनाथ को बचाने की कोशिश अब तक न के बराबर रही.

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