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बूंद-बूंद पानी को तरस रहे बैगा पारा के निवासी, 150 फीट गहरी खाई में उतरकर पेयजल लेने के लिए मजबूर

Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur: केंद्र और राज्य सरकार की गांव-गांव तक पेयजल सुविधा मुहैया कराने की दावों के बीच छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.

बूंद-बूंद पानी को तरस रहे बैगा पारा के निवासी, 150 फीट गहरी खाई में उतरकर पेयजल लेने के लिए मजबूर

Water shortage in Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur: नल जल योजना (Har Ghar Nal Yojana) और जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) जैसे कई योजनाओं से लोगों को पेयजल सुविधा दिलाने का सरकार लगातार दावा कर रही है, लेकिन प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के विधानसभा में ही बैगा पारा निवासी पेयजल सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. यहां के लोग पेयजल के लिए केवल प्राकृतिक जल स्रोत तुर्रा पर ही आश्रित हैं. यहां से पानी ले जाना भी कोई आसान काम नहीं है.

150 फीट गहरी खाई में उतरकर पानी भरने के लिए मजबूर लोग

दरअसल, ये लोग करीब डेढ़ सौ फिट गहरी खाई में उतरकर पानी भरने के लिए मजबूर हैं. यहां गहरी खाई में उतरने के बाद डब्बे के सहारे पेयजल घर ले जाते हैं. ठंडी में तो जैसे तैसे गुजारा हो जाता है, लेकिन गर्मी और बरसात में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दरअसल, बरसात के दिनों में बारिश का पानी जल स्रोत के ऊपर तक भरने के कारण मटमैला पानी आता है, जबकि गर्मी में तुर्रा में पानी की धार कम हो जाती है, जिससे यहां लोगों की भीड़ लगती है. 

स्थानीय निवासी जगमोहन का कहना है कि पास आ रही ओपन कास्ट खदान और हैवी ब्लास्टिंग के कारण पहले की तुलना में अब तुर्रा की धार भी कम होने लगी है. ऐसे में बस्ती के लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

आजादी के 76 साल बाद भी आर्थिक सुविधाओं से वंचित किसान

नगर निगम क्षेत्र गोदरी पारा के आजाद नगर इलाके से लगे इस बस्ती का भी अजीब बटवारा हुआ है. जानकारी के मुताबिक, इलाके का कुछ भाग नगर निगम के दो अलग-अलग वार्डों में आता है और एक भाग ग्राम पंचायत भूकभूकी के वार्ड क्रमांक 7 में आता है. यहां लगभग 25 परिवार निवास करते हैं. लोग बताते हैं कि वह या तो शहरी क्षेत्र में दिहाड़ी मजदूरी कर अपना गुजारा कर रहे हैं और कुछ लोग जंगल के सहारे जी रहे हैं. इलाके में हाल-चाल पूछने कोई नेता भी नहीं आते हैं. जैसे सालों पहले जी रहे थे आज भी वैसे ही जीने को मजबूर हैं. 

बोरिंग हुआ, लेकिन नहीं लगाया गया पाइप

गोदरी पारा निवासी दिलीप तिवारी बताते हैं कि बैगाओं कि इस बस्ती में कुछ सालों पहले बोरिंग खोदा गया था, लेकिन उसमें पाइप लाइन नहीं डाला गया, जिसके चलते वह भी ऐसे ही बंद पड़ा है. लगभग 50 सालों से यहां के लोग खाई में बसे इस प्राकृतिक जल स्रोत पर ही निर्भर हैं. इस संबंध में ना तो कोई नेता ही संज्ञान लेते हैं और ना ही एसईसीएल और नगर निगम के अधिकारी. बस्ती के लोगों के घर तक पेयजल पहुंचाने के लिए किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं की गई. यहां के लोग ऐसे ही अपना जीवन यापन कर रहे हैं.

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