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Fake Fertilizer : किसानों के साथ धोखाधड़ी,  यहां नकली पोटाश बनाकर की जा रही सप्लाई

Fake Fertilizer Company: खाद का नमूना लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की फर्टिलाइजर क्वॉलिटी कंट्रोल लैबोरेट्री रायपुर जांच के लिए भेजा गया, जिसकी जांच में पहले रिपोर्ट में एक प्रतिशत व दूसरे रिपोर्ट में 3.5 प्रतिशत पोटाश की मात्रा ही पाया गया, जबकि निर्धारित मानक अनुसार पोटाश की मात्रा न्यूनतम 14.5 होना चाहिए.

Fake Fertilizer : किसानों के साथ धोखाधड़ी,  यहां नकली पोटाश बनाकर की जा रही सप्लाई

Fake Fertilizer News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कवर्धा (Kawardha) में पीपीपी मोड पर संचालित प्रदेश का पहला इथेनॉल प्लांट में अमानक खाद बनाने का मामला सामने आया है. आरोप है कि यहां के फार्म टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से फसल में डाले जाने वाले  पोटाश उर्वरक UPAJJ नाम से बनाया जा रहा है, जिसकी निर्धारित मानक जांच में 14.5 की जगह 1 और 3.5 प्रतिशत ही पाया गया.

जांच के बाद इस पोटाश पर रोक लगा दिया. वहीं, यह मामला सामने आने के बाद भारतीय किसान संघ ने इसे किसानों के साथ धोखाधड़ी बताते हुए निर्माता कम्पनी के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए कलेक्टर से शिकायत की है.

ऐसे हुआ मामले का खुलासा

कवर्धा के रामहेपुर में स्थित भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना रामहेपुर में एनकेजे बायोफ्यूल कंपनी स्थापित है. ये कंपनी शक्कर कारखाना से मोलासिस खरीद कर इथेनॉल लिक्विड बनाती है. इसके सहायक इकाई के फार्म द्वारा यही पर मोलासिस आधारित पोटाश उर्वरक का निर्माण किया जा रहा है, जिसे खरीद कर भोरमदेव शक्कर कारखाना की ओर से गन्ना बेचने वाले किसानों को बेचा जा रहा था, जिसे किसान अपने खेत में डालने के बाद इसकी गुणवत्ता में कमी को लेकर कृषि विभाग के अधिकारी से शिकायत किए. इसके बाद वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बोड़ला ने एक अप्रैल को कारखाना पहुंच कर निरीक्षण किया जहां कारखाना प्रबंधक की ओर से बगैर विक्रय लाइसेंस के किसानों को खाद बेंचा जा रहा था. जिस पर तत्काल रोक लगा दी गई. उक्त खाद का नमूना लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की फर्टिलाइजर क्वॉलिटी कंट्रोल लैबोरेट्री रायपुर जांच के लिए भेजा गया, जिसकी जांच में पहले रिपोर्ट में एक प्रतिशत व दूसरे रिपोर्ट में 3.5 प्रतिशत पोटाश की मात्रा ही पाया गया, जबकि निर्धारित मानक अनुसार पोटाश की मात्रा न्यूनतम 14.5 होना चाहिए, इस तरह उक्त खाद को पूरी तरह अमानक पाया गया.

कारखाना प्रबंधक की भूमिका संदेह में

पोटाश खाद विक्रय को लेकर भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना रामहेपुर के प्रबंधक के ऊपर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि कारखाना प्रबंधक किसानों का अब तक करोड़ों रुपए का गन्ना विक्रय की राशि भुगतान नहीं किया है, जिसका मुख्य कारण इथेनॉल कंपनी है, जिनके द्वारा भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना रामहेपुर से मोलासिस खरीदा जाता है. इसकी देय राशि लगभग 19 करोड़ रुपये बकाया है. इस वजह से किसानों को राशि भुगतान नहीं हो पाया है. ऐसे में कारखाना प्रबंधक की ओर से इस  कंपनी के द्वारा बनाए हुए अमानक खाद को एक व्यापारी के रूप किसानों को आखिर क्यों बेची जा रही थी.  खाद बिक्री के पहले खाद की जांच क्यों नहीं कराई गई? न ही विक्रय लाइसेंस लिया गया, जबकि किसानों को उचित दाम पर खाद उपलब्ध कराने पर सरकार ने जिले के 90 सहकारी समिति में खाद्य भेजी जाती है. जहां से किसान ब्याज मुक्त अनुदान युक्त खाद प्राप्त करते हैं. कारखाना प्रबंधक के इस कृत्य से यही सवाल खड़ा होता है कि इथेनाॉल कम्पनी को बकाया भुगतान कराने में आर्थिक राहत तो नहीं दी जा रही है, या फिर एथेनॉल कंपनी से डायरेक्ट बकाया राशि लेने के बजाय उनसे पोटाश खाद खरीद कर सौदेबाजी तो नहीं की जा रही है?

कंपनी में ताले बंदी की चेतावनी

एनकेजे बायो फ्यूल्स कंपनी रामहेपुर की ओर से मोलासिस का लगभग 19 करोड़ रुपये नहीं देने व अमानक खाद बनाकर किसानों को बेचने के विरोध में भारतीय किसान संघ के जरिए 20 मई को कंपनी प्लांट का घेराव कर तालाबंदी करने के लिए कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया है. साथ ही यह मांग की जा रही है कि जितने भी किसानों को खाद बेंचा गया है, उन्हें मुआवजा दिया जाए और खाद बनाने वाले के फार्म टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के विरुद्ध कार्रवाई की जाए.

दोबारा जांच के लिए भेजे सेम्पल

कृषि विभाग बोड़ला के उर्वरक निरीक्षक एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी वीरेंद्र यादव ने बताया कि किसानों से यह शिकायत मिली थी कि शक्कर कारखाना रामहेपुर के जरिए UPAJJ नाम का जो पोटाश दिया जा रहा है, उसकी गुणवत्ता सही नहीं है. इसके आधार पर निरीक्षण किया गया और विक्रय पर तत्काल रोक लगा दिया गया. इसके बाद इसकी जांच कराई गई, तो जांच में खाद अमानक पाया गया. इसके बाद पूरे पोटाश UPAJJ की बिक्री पर रोक लगा दी गई है. साथ ही निर्माता कंपनी की फैक्ट्री में रखे बाकी के लॉट से दो सैंपल और विक्रय करने वाले कारखाना प्रबंधक के लॉट से एक सैंपल लिया गया, जिसकी जांच के लिए सरकारी फर्टिलाइजर प्रयोगशाला रायपुर भेजा गया. इसकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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