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MNREGA : यहां मनरेगा में जमकर हो रहा है खेला! जहां नहीं थी जरूरत, वहां भी बना दी गई तीन पुलिया?

MNREGA News : करीब 60 लाख रुपये की लागत से तीन पुलिया बनाई गई है. गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में ये मामला अब तूल पकड़ रहा है. मनरेगा के तहत बनाए गए इन पुलों से भ्रष्टाचार की पोल खुलने लगी है. NDTV ने ग्राउंड जीरो पर जाकर पड़ताल की तो कई तरह के सवाल खड़े हुए हैं.

MNREGA : यहां मनरेगा में जमकर हो रहा है खेला! जहां नहीं थी जरूरत, वहां भी बना दी गई तीन पुलिया?
मरवाही विकासखंड के बदरोड़ी पंचायत के देवगांव में मनरेगा के तहत हुए पुल निर्माण कार्य की खुलने लगी पोल.

MNREGA Yojana : छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से सुशासन तिहार के बीच शासन के बजट पर पलीता लगाने की खबर आ रही है, जहां मरवाही विकासखंड के बदरोड़ी पंचायत के देवगांव में मनरेगा के अधोसंरचना मद के तहत निर्माणाधीन पुलिया में किए गए झोल की पोल खुलने लगी है. NDTV की टीम ग्राउंड जीरो पर जाकर पड़ताल की है. ग्रामीणों से बात की, तो उन्होंने साफ तौर पर निर्माण कार्य पर हुए भ्रष्टाचार पर गुस्सा जाहिर किया. साथ इसको गैर जरूरी बताया.

ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय अधिकारी ऐसे स्थानों पर निर्माण कार्य करवा रहे हैं, जहां उसकी कोई व्यावहारिक उपयोगिता नहीं है. पुलिया का निर्माण निर्जन क्षेत्र में कराया गया है, जहां न तो कोई नियमित आवाजाही है और न ही अब तक अप्रोच रोड का निर्माण हुआ है.

ये पुल बिना उचित योजना के क्यों बनें?

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स्थानीय लोगों के अनुसार, लाखों रुपये की लागत से बन रही यह पुलिया बिना उचित योजना और निरीक्षण के रही, जिसकी गुणवत्ता इतनी खराब है कि उपयोग में आने से पहले ही यह जर्जर अवस्था में पहुंच गई है. ग्रामीणों ने इसे "बंदरबांट की नीयत से किया गया निर्माण" बताया. संबंधित विभागीय अधिकारियों पर सवाल खड़े किए हैं. एनडीटीवी ने जब इस मुद्दे को उठाया तो जिला पंचायत सीईओ ने इस पर जांच टीम बैठा दी.

बदरोड़ी छत्तीसगढ़ का आखिरी गांव है

मरवाही जनपद के बदरोड़ी ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाला आश्रित गांव देवगांव छत्तीसगढ़ का सीमांत गांव है. इसके आगे मध्य प्रदेश लगता है, पर यह इलाका गुर्जर नाला का कछार का कहलाता है. यानी इसके आगे जाना कठिन है या ये कहे रास्ता है ही नहीं, ऐसे में जनपद पंचायत मरवाही के अधिकारियों, कर्मचारियों ने यहां अलग-अलग तीन पुलियों के निर्माण की योजना क्यों बनाई? ये एक बड़ा सवाल है. मिली जानकारी के अनुसार इन पुलों की लागत करीब 60 लाख रुपये है.

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रहवासियों का मानना है कि उपयोग किए बिना यह पुलिया जर्जर हो गया. वहीं, कुछ लोग जो आते-जाते दिखे भी उनसे जब पूछा गया कि इस पुलिया से होकर क्यों नहीं जाते तो उन्होंने कहा... मरना है क्या ?

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जानें इस मुद्दे पर क्या बोले जिला पंचायत CEO सुरेंद्र प्रसाद

तीन साल पहले हुए इस निर्माण को लेकर जब जिला पंचायत सीईओ सुरेंद्र प्रसाद वैध से बातचीत की गई, तो उन्होंने बताया कि मामला अभी-अभी संज्ञान में आया है. संज्ञान में आते ही मैं इस पूरे निर्माण पर जांच टीम बैठा दी है. जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. संज्ञान में यह भी आया है कि इस जिले में मजदूरी और मटेरियल के रेशियो में भी काफी अंतर है, निश्चित ही बड़े घोटाले की ओर इशारा करता है. दोषी बख्शे नहीं जाएंगे.

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