विज्ञापन
This Article is From Apr 23, 2025

सपनों का शहर! 40 वर्ष बाद भी परवान नहीं चढ़ पाई आवास विकास मंडल की ये योजना, भटक रहे हैं लोग

Encroachment In Morena : सपनों का एक अधूरा शहर... सरकार के करोड़ों रुपये खर्च हो गए.. पर न शहर बना न हितग्राहियों को लाभ मिला. 40 साल बाद योजना पूरी नहीं हो पाई. दम तोड़ रही है. पिछले 20 सालों से अतिक्रमण किया जा रहा है. मुरैना का पूरा मामला है.

सपनों का शहर! 40 वर्ष बाद भी परवान नहीं चढ़ पाई आवास विकास मंडल की ये योजना, भटक रहे हैं लोग

MP News In Hindi : मध्य प्रदेश के मुरैना शहर से ग्रामीण आवास विकास मंडल की एक योजना में बड़ा झोल सामने आया है. दरअसल,  40 साल पहले ग्रामीणों से विकास के बड़े-बड़े दावे किए गए थे. लेकिन सब हवा-हवाई साबित हो गए...हाउसिंग बोर्ड को बड़ी चपत लग रही है...

जिले के सबलगढ़ तहसील मुख्यालय से मांगरोल मार्ग पर ग्रामीण आवास विकास मंडल के द्वारा ग्राम पंचायत पूंछरी में 7 हेक्टेयर भूमि पर आवासीय कॉलोनी विकसित करने की योजना बनाई. ग्रामीणों को शहरी वातावरण प्रदान करने के लिए कम लागत मूल्य पर भूखंड व आवास देने की इस योजना में भूमि को विकसित किया गया, जिसमें भूखंड मान से सड़क, सेप्टिक टैंक, सीवरेज लाइन का निर्माण कर सुचारू विद्युत व्यवस्था के लिए पोल भी स्थापित कर दिए थे.

60 करोड़ से अधिक भूमि पर अतिक्रमण!

योजना के हाउसिंग बोर्ड को हस्तांतरित होने के बाद भी क्रियान्वयन थोड़ा भी नहीं हुआ. इसका परिणाम रिक्त पड़ी लगभग 60 करोड़ से अधिक की भूमि पर घुमंतु, लोहपीटा और अन्य वर्ग के गरीब लोगों द्वारा धीरे-धीरे अतिक्रमण करना शुरू कर दिया. लगभग दो दशक में आधा सैकड़ा से अधिक लोगों द्वारा इस भूमि पर अतिक्रमण किये जाने में ग्रामीण जन प्रतिनिधियों की भूमिका बताई जा रही है. इससे इस योजना को पलीता लगता दिख रहा है. हालांकि, प्रशासन शासकीय भूमि पर से अतिक्रमण हटाये जाने की बात कर रहा है.

हितग्राहियों के पंजीयन की राशि वापस नहीं हुई

मुरैना में भूमि को विकसित कर लगभग 250 से अधिक हितग्राहियों को विक्रय करने को अंतिम रूप देना था. इसमें एक सैकड़ा हितग्राहियों का पंजीयन तो कर लिया गया, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण न तो भूखंड मिले और न ही आवास का निर्माण हो पाया.  आज तक इन हितग्राहियों के पंजीयन की राशि वापस नहीं हुई.

आज तक यह योजना मूर्तरूप क्यों नहीं ले पाई ?

वर्ष 1988 में आरंभ इस योजना में भूमि को विकसित करने के लिये लगभग 10 लाख रुपये व्यय किया गया. शासन की इस योजना में दो वर्ष बाद वर्ष 1990 में ग्रामीण आवास विकास मंडल का विलय हाउसिंग बोर्ड में हो गया. योजना के तहत ढाई सौ भूखण्ड और आवास वितरित किए जाने से इसके लिए एक सैकड़ा से अधिक लोगों ने पंजीयन कराकर 8 से 10 हजार रुपये की राशि जमा कराई. तत्काल ही इस योजना को ग्रहण लग गया. आज तक यह योजना मूर्तरूप नहीं ले पाई है. कॉलोनी विकास में व्यय की गई राशि भी बर्बाद हो गई.

ये भी पढ़ें- Pahalgam Terrorist Attack: कायराना हरकत! पहलगाम आतंकी हमले पर CM मोहन यादव ने क्या कुछ कहा?

औपचारिकता के लिए किए गए ये कार्य

महेश चंद्र बंसल (पंजीयन कर्ता) ने कहा- सबलगढ़ से अटार घाट मार्ग पर शासन की 7 हेक्टेयर भूमि पर बीते दो दशकों के दौरान आधा सैकड़ा से अधिक लोगों ने अवैध अतिक्रमण कर लिया है. इस संबंध में जमीन पर रह रहे महिला पुरुष यह अवगत कराते हैं, कि ग्रामीण जनप्रतिनिधियों द्वारा उन्हें उस भूमि पर रहने के लिये कहा गया था. मूलभूत सुविधाओं के तहत पेयजल के लिये हैंडपंप व बिजली के लिये खंभे भी लगा दिये गये हैं. 

 लेकिन सबलगढ़ तहसील मुख्यालय पर संचालित न्यायालय का आवासीय परिसर वहां स्थापित हो जाने के कारण बाजारू दर काफी तेजी से बढ़ी है. हाउसिंग बोर्ड की यह भूमि अतिक्रमण की जद से मुक्त हो पाएगी या फिर विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान सहन करना पड़ेगा.  यह भविष्य के गर्त में है.

ये भी पढ़ें- जहां बरसीं गोलियां उसे कहा जाता है 'मिनी स्विट्जरलैंड', हमेशा रहा फिल्ममेकर्स की पसंदीदा, इन फिल्मों की हो चुकी है शूटिंग

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close