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वाह रे सिस्टम! तीन साल से लगा रहे हैं दफ्तर के चक्कर, अब तक नहीं बन पाया जाति प्रमाण पत्र

CG News: सरगुजा में पटवारी छत्तीसगढ़ लोक सेवा गारंटी अधिनियम का उल्लंघन कर रहा है. इसको लेकर आदिवासी पिछले तीन साल से दफ्तर के चक्कर ही काट रहे है. 

वाह रे सिस्टम! तीन साल से लगा रहे हैं दफ्तर के चक्कर, अब तक नहीं बन पाया जाति प्रमाण पत्र
अपनी फरियाद लेकर कलेक्टर ऑफिस पहुंचे आदिवासी लोग

Caste Certificate in CG: राज्स्व रिकार्ड (Government Record) में गड़बड़ी के कारण एक गांव के सैकड़ों आदिवासी समुदाय (Tribal Communities) के लोगों का जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate) पिछले तीन साल से पेंडिंग है... तीन वर्षों से क्षेत्र के एसडीएम (SDM) के पास गुहार लगाने के बाद भी आज तक कुछ नहीं हुआ...  इसको लेकर मंगलवार, 25 जून को ये ग्रामीण तीस किलोमीटर की दूरी पैदल तय करके सरगुजा कलेक्ट्रेट कार्यालय (Surguja Collector Office) पहुंचे. कलेक्टर से जल्द से जल्द राज्स्व रिकार्ड दुरुस्त करने की मांग की है. ग्रामीणों का आरोप है कि उनके गांव का पटवारी (Patwari) इस मामले की जांच प्रतिवेदन बनाने के नाम पर 10 हजार रुपए भी ले लिया है, इसके बावजूद आज तक पटवारी के द्वारा जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया. 

सरकार की बातों का हो रहा उल्लंघन

प्रदेश के आदिवासियों को बेहतर सुविधा देने का सरकार भले लाख दावा करें, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. दरअसल, ग्राम पंचायत दरीमा के ग्रामीणों का कहना है कि वे उंराव जाति के है, जो अनुसूचित जनजाति के श्रेणी में आता हैं. उनकी पैतृक भूमि ग्राम मंगारी तहसील बतौली में स्थित हैं. वर्षों पूर्व उनके पूर्वज को ग्राम मंगारी के कोईलता जाति जोकि सामान्य वर्ग अंतर्गत आते हैं के द्वारा मारपीठ कर भगा दिया था. तब से वे ग्राम दमाली तहसील दरिमा में निवास करने लगे. 

अब तक पेंडिंग है जांच रिपोर्ट

ग्रामीणों का कहना है कि उनके बच्चों को जब जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ी, तब उन्होंने सर्वे सेटलमेंट निकलवाया और न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी, सीतापुर, जिला सरगुजा के सामने आवेदन पत्र प्रस्तुत किया. जिसमें हल्का पटवारी ग्राम मंगारी को प्रकरण में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी सीतापुर के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए था. लेकिन, आज 3 वर्ष हो गये, स्थल जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया. ग्रामीणों का कहना है वे कई बार हल्का पटवारी के पास गए, लेकिन हर बार टाल मटोल करते हुए जांच प्रतिवेदन नहीं बनाया गया. 

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छत्तीसगढ़ लोक सेवा गारंटी अधिनियम का उलंघन

कलेक्टर के पास शिकायत करने पहुंचे ग्रामीणों का कहना है कि लोक सेवा गांरटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत 90 दिन के अंदर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है. इसके साथ ही, प्रकरण का निराकरण किया जाना होता है. लेकिन, लापरवाह हल्का पटवारी जगतपाल पैकरा ग्राम मंगारी, तहसील बतौली के कारण प्रकरण का समयसीमा के भीतर निराकरण नहीं किया जा सका.

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